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Delhi: आतंकी संगठन के 3 सदस्य सबूत के अभाव में आरोपमुक्त, यासीन भटकल समेत 11 के खिलाफ आरोप तय


नई दिल्ली, दिल्ली की एक अदालत ने एनआईए को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सरगना यासीन भटकल और मोहम्मद दानिश अंसारी सहित उनके कई गुर्गों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत आरोपितों को दोषी ठहराते हुए कहा कि आरोपितों के खिलाफ मुकदमा चलाने के पर्याप्त सबूत थे, जबकि तीन आरोपितों को अदालत ने सबूतों के आभाव में आरोपमुक्त कर दिया है।

अदालत ने 31 मार्च को एक आदेश में कहा कि आरोपी इंडियन मुजाहिदीन का मुख्य चेहरा थे, जिस संगठन पर आरोप है कि भारत के विभिन्न हिस्सों में आतंकी घटनाओं की साजिश रची। इन पर आरोप है कि अपराधी साजिश के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों खासकर दिल्ली में बम विस्फोटों और आतंकवादी गतिविधियों के कमीशन के लिए बड़े पैमाने पर नए सदस्यों की भर्ती की। जिसमें पाकिस्तान स्थित सहयोगियों के साथ-साथ स्लीपर सेल की मदद और उनका सहयोग शामिल था।

विदेशों से मिलता था पैसा: एजेंसी

एनआईए ने अदालत को बताया कि इंडियन मुजाहिदीन के गुर्गों और उसके फ्रंटल संगठनों को अपनी आतंकवादी गतिविधियों के लिए हवाला चैनलों की ओर से विदेशों से पैसा मिल रहा था। साथ ही एजेंसी ने बताया कि आरोपी बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगों और मुसलमानों पर अन्य कथित घटनाओं के बारे में मुस्लिम युवकों को बताते थे ताकि उनके दिमाग को आतंकवादी गतिविधियों में भर्ती करने के प्रयास में उनके दिमाग में कट्टरपंथी सोच पैदा की जा सके।

अदालत ने भटकल, अंसारी, मोहम्मद आफताब आलम, इमरान खान, सैयद, ओबैद उर रहमान, असदुल्लाह अख्तर, उज्जैर अहमद, मोहम्मद तहसीन अख्तर, हैदर अली और जिया उर रहमान के खिलाफ आरोप तय किए, जबकि न्यायाधीश ने मंजर इमाम, आरिज खान और अब्दुल वाहिद सिद्दीबप्पा को यह कहते हुए आरोप मुक्त कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ सबूत देने में विफल रहा।

उच्च न्यायायल में करेंगे आपील

अभियुक्तों की ओर से पेश अधिवक्ता एम एस खान और कौसर खान ने एनआईए की दलील का विरोध करते हुए दावा किया कि जांच एजेंसी द्वारा पेश किए गए सबूतों को एक अभियुक्त के खिलाफ पहले के मुकदमे में पहले ही ध्यान में रखा जा चुका है और केवल उन्हीं सबूतों पर विचार नहीं किया जा सकता है। फिर से उसी अभियुक्त के दूसरे मुकदमे में या अन्य सह-आरोपितों के साथ भी। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि वे इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।