नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली दंगा मामले में साजिश रचने के लिए आरोपित बनाए गए उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि महाराष्ट्र के अमरावती में खालिद द्वारा दिया गया भाषण आपत्तिजनक था और प्रथम दृष्टया यह स्वीकार्य नहीं है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल व न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि भाषण आपत्तिजनक और अप्रिय है।
पीठ ने पूछा क्या आपको नहीं लगता कि इस्तेमाल किए गए ये भाव लोगों के लिए अपमानजनक हैं? यह लगभग ऐसा है जैसे कि भारत की आजादी की लड़ाई केवल एक समुदाय ने लड़ी थी। पीठ ने सवाल उठाया कि क्या गांधीजी या शहीद भगत सिंहजी ने कभी इस भाषा का इस्तेमाल किया था?
पीठ ने कहा कि हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अनुमति देने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन आप क्या कह रहे हैं? पीठ ने उक्त टिप्पणी तब की जब खालिद की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने खालिद के भाषण का एक हिस्सा अदालत के समक्ष पढ़ा।
पीठ ने जब पूछा कि खालिद पर क्या आरोप है। इसके जवाब में खालिद की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने दलील दी कि खालिद पर साजिश का आरोप लगाया गया है, लेकिन वह शहर में मौजूद नहीं था।हालांकि, पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया अदालत कह सकती है कि खालिद द्वारा दिया गया भाषण स्वीकार्य नहीं है।