नई दिल्ली, । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ईवीएम को लेकर एक अहम याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इस याचिका में चुनाव आयोग को मतपत्र और ईवीएम से चुनाव चिह्न हटाने और इस जगह पर उम्मीदवारों के ‘नाम, उम्र, शैक्षणिक योग्यता और फोटो’ बदलने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की उस याचिका पर विचार करने से इनकार किया, जिसमें उन्होंने ईवीएम से पार्टी चिह्न हटाने की मांग की थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर भारतीय चुनाव आयोग द्वारा याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व पर विचार किया जाता है तो यह न्याय का अंत होगा।
राजनीतिक नेताओं में बढ़ी है आपराधिकता
उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और गोपाल शंकरनारायण ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने अदालत को बताया कि ईवीएम पर पार्टी के चिह्नों का प्रदर्शन मतदाताओं की पसंद को प्रभावित करता है और उन्हें चुनावी उम्मीदवारों की विश्वसनीयता के आधार पर चुनाव करने का मौका देता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजनीतिक नेताओं में आपराधिकता बढ़ी है।
चुनाव राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ : यूयू ललित
प्रमुख न्यायाधीश यूयू ललित ने कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची राजनीतिक दलों और विधायक दल को मान्यता देती है। साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है। आधार यह है कि मतदाताओं ने (उम्मीदवार) चुना है … इसलिए मतदाताओं ने उन्हें चुना है, लेकिन वह अपने राजनीतिक दल को नहीं छोड़ सकते।
इसलिए दायर की गई थी याचिका
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका याचिका में कहा गया था कि इस तरह के कदम से मतदाताओं को बुद्धिमान, मेहनती और ईमानदार उम्मीदवारों को वोट और समर्थन देने में मदद मिलेगी। साथ ही टिकट बांटने में राजनीतिक दलों के हाई कमांड की मनमानी पर लगाम भी लगाई जा सकेगी।