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IAS Transfer: अलीगढ़ नगर आयुक्त का तबादला; सदन अंधेरे में रखने वाले अमित आसेरी लोक निर्माण विभाग में विशेष सचिव बने


, अलीगढ़। IAS Transfer: जनता, जनप्रतिधिनियों, पार्षदों के साथ रूखा व्यवहार और कार्यों में अनियमितता नगर आयुक्त अमित आसेरी के लिए भारी पड़ गई। शुक्रवार देर रात उनका स्थानांतरण कर दिया गया। उन्हें विशेष सचिव पीडब्ल्यूडी बनाया गया है। इसके पीछे यही बड़ा कारण बताया जा रहा है।

तीन दिन पहले ही शहर विधायक मुक्ता राजा और कोल विधायक अनिल पाराशर ने मुख्यमंत्री से इस संबंध में मुलाकात की थी। शहर विधायक ने शिकायत की थी कि नगर निगम के अधिकारी किसी की नहीं सुनते। जनता परेशान है। इसके चलते ही लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को शहर विधानसभा क्षोत्र में कम वोट मिले।

कूड़ा उठान का ठेका निजी कंपनी को दिया था

नगर निगम के सदन में बिना चर्चा व प्रस्ताव के ही 1.02 अरब रुपये का घर-घर कूड़ा उठान का ठेका निजी कंपनी को दे दिया गया। पहले ए-टू-जेड को दिए गए ठेके में नगर निगम ने 50 वाहन दिए थे। मगर यहां नई कंपनी को 322 वाहन खरीदकर दिए। एक अरब से अधिक का कूड़ा उठान का ठेका निजी कंपनी को दे दिया, सदन को भनक तक नहीं लगने दी। दैनिक जागरण ने इस मामले को 26 जुलाई के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। सेवाभवन शिकायत लेकर आने वाले लोगों को गेट के बाहर ही रोक दिया जाता था। ऐसा पहली बार हुआ कि सेवा भवन के मुख्य गेट पर ताला लगा गया।

 

नगर आयुक्त अमित आसेरी का हुआ तबादला।

महिलाओं ने किया था विरोध

गुरुवार को भी इसके विरोध में महिलाओं ने प्रदर्शन किया था। आइएएस अधिकारी अमित आसेरी ने 19 सितंबर 2022 को नगर आयुक्त का कार्यभार संभाला था। एक वर्ष 10 महीने के कार्यकाल में वो जनता का दिल जीतने में नाकाम रहे। पेयजल को लेकर लोग सड़कों पर उतरे। जलभराव से परेशान रहे। समय पर समस्या का समाधान नहीं हुआ। पार्षद भी परेशान थे, वो भी अपने क्षेत्रों में जवाब नहीं दे पा रहे थे। उन्होंने भी जनप्रतिनिधियों से शिकायत की थी।

शहरवासियों को नहीं दिला सके शुद्ध पेयजल

नगर आयुक्त के तौर पर शहरवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था न करा पाना सबसे ज्वलंत समस्या के तौर पर रही। शहर का ऐसा कोई कोना नहीं बचा जहां की जनता ने नगर निगम आकर या अपने क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन न किए हों। पार्षदों को बंधक बनाया, अधिकारियों को चूड़ियां दीं। सर्दी के मौसम में ही प्री-प्लान होकर पेयजल व्यवस्था सुदृढ़ नहीं की गई। महिलाओं ने नगर निगम सेवाभवन आकर जमकर प्रदर्शन किया। मगर पानी न उपलब्ध हो सका।

 

इसी तरह जलभराव की समस्या से निजात के सपने जनता को दिखाए गए लेकिन नाला सफाई में ही अनियमितता व घोर मनमानियां की गईं जिसको नगर आयुक्त नजरअंदाज करते रहे। मैरिस रोड पर जलभराव की स्थायी समस्या तो अभी तक हुई ही नहीं। बाबूजी कल्याण सिंह आवास तक मैरिस रोड पर पानी भर जाता है।

 

पूरा नाला साफ हुए बिना ही 10 लाख का भुगतान

नाला सफाई के लिए किए गए टेंडर से दो फर्मों को लगाया गया लेकिन बिना विधिवत नाला सफाई किए फर्मों को 10 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। इतना ही नहीं, इनके कार्यकाल में पथ प्रकाश व्यवस्था भी लचर रही। पहले ईईएसएल कंपनी फिर इयान और उसके बाद होलोनेक्स कंपनी की लाइटें लगाई गईं। होलोनेक्स की लाइटें जो फर्म लगा रही है उसका प्रस्ताव भी नगर निगम के सदन में नहीं रखा गया। मनमर्जी से केवल टेंडर कराकर पांच करोड़ का ठेका दे दिया गया।

पानी को लेकर जनप्रतिनिधियों की नाराजगी पेयजल की समस्या इस चरम पर पहुंच गई थी कि शहर विधायक मुक्ता राजा से लेकर कोल विधायक अनिल पाराशर तक ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए। मगर उनके पत्र लिखने के बाद भी कोई सुधार नहीं हो सका। इस पर जनप्रतिनिधियों ने नाराजगी भी जताई थी।

गर्मियों में लोग पानी की समस्या को लेकर बहुत परेशान रहे। मेरे कार्यालय में शिकायत लेकर आने वाले लोगों तक की समस्या का समाधान नहीं हुआ। पिछले दिनों ही मुख्यमंत्री को मैंने पूरी बताई थी। मुक्ता राजा, शहर विधायक

अधिकारी कोई भी हो, जनता की समस्या का समाधान करना उसका पहला कर्तव्य होता है। नगर निगम में ऐसा नहीं हो रहा था। पानी, जलभराव, गृहकर सहित अन्य समस्याओं से लोग परेशान हैं। अनिल पाराशर, कोल विधायक