जांच के दायरे में आएंगे करीब 20,000 अधिकारी
अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रत्येक साल रिपोर्टिंग प्राधिकारी और संबंधित सभी अधीनस्थों को एक लिंक भेजा जाएगा। प्रस्तुत फीडबैक को अधिकारी के डेटा बेस में गुमनाम रूप से दर्ज किया जाएगा। फीडबैक की जानकारी पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। अधिकारियों के एक वर्ग का कहना है कि एपीएआर प्रणाली से न केवल भारतीय रेलवे में कार्य संस्कृति में फर्क पड़ेगा बल्कि कुछ अधिकारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) भी होगी। एक अधिकारी ने कहा कि इस एपीएआर के लिए करीब 20,000 अधिकारी जांच के दायरे में आएंगे।
कई अधिकारियों ने इस बदलाव पर भी सवाल उठाया है
एक सूत्र ने बताया कि रेल अधिकारियों के साथ काम करने वाले ठेकेदारों और विक्रेताओं जैसे गैर-रेलवे व्यक्तियों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए इस प्रणाली को और बढ़ाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि फीडबैक दर्ज होने के बाद तीन या चार सदस्यीय समिति तय करेगी कि अधिकारी को पदोन्नत किया जाना चाहिए या नहीं। अधिकारियों ने यह भी बताया कि अधिकारियों के लिए सिस्टम मौजूद है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि समिति के सदस्यों का मूल्यांकन कौन करेगा। गौरतलब है कि कई अधिकारियों ने इस बदलाव पर भी सवाल उठाया है। बता दें कि हाल ही में रेलवे ने आठ कैडर वाली भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (IRMS) बनाई जिसके तहत रेलवे बोर्ड के महाप्रबंधक या अध्यक्ष बनने के नियमों में बदलाव किया गया है।
बता दें कि साल 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने 360-डिग्री मूल्यांकन प्रणाली की शुरुआत की थी। इस फैसले के अनुसार, वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) एक विशेषज्ञ पैनल की प्रस्तुतियों पर आधारित है जो सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के अलावा अधिकारियों के पूर्ण सेवा रिकॉर्ड और पिछली सभी वार्षिक रिपोर्टों की समीक्षा करेगा। इस प्रक्रिया के तहत, विशेषज्ञों का एक पैनल उम्मीदवार के सहयोगियों – वरिष्ठ और कनिष्ठ सहित अन्य लोगों के विचार को शामिल किया जाता है।