नई दिल्ली, । International Epilepsy Day 2022: मिर्गी एक न्यूरोलॉज़िकल समस्या है, जिसमें मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य हो जाती है। इसमें दौरे, जागरूकता को नुकसान पहुंचना, अजीब संवेदनाएं और असामान्य व्यवहार शामिल हो सकते हैं।
एक तथ्य जो मिर्गी को एक अत्यंत हानिकारक स्थिति बनाता है, वह यह है कि यह किसी को भी प्रभावित कर सकता है, इसका मतलब यह कि लोगों का ऐसा कोई खास ग्रुप नहीं है जिनमें इस बीमारी का जोखिम ज़्यादा हो। इसलिए, किसी भी उम्र, लिंग और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों में मिर्गी विकसित हो सकती है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आनुवांशिकी, पारिवारिक इतिहास, स्ट्रोक या ट्रॉमा, मिर्गी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
हालांकि, बहुत से लोग मिर्गी के कारणों और लक्षणों के बारे में जानते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे लोग हैं, जो जानते हैं कि सर्जरी से न्यूरो डिसऑर्डर से राहत मिल सकती है। इस अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर, आइए जानें कि सर्जरी कैसे इस स्थिति में काम आती है।
क्या है एपीलेप्सी यानी मिर्गी?
एपीलेप्सी यानी मिर्गी एक दिमाग़ से जुड़ी बीमारी है, जहां ब्रेन सर्किट में असामान्य फायरिंग होती है। जिसकी वजह से दौरे और शरीर के अकड़ जाने जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं। यह व्यक्ति की उम्र के हिसाब पर कई वजहों से हो सकता है- नवजात शिशु में, यह जन्म दोष या प्रसव के दौरान ऑक्सीजन की समस्या के कारण हो सकता है। थोड़े बड़े आयु वर्ग की बात करें, तो इसके पीछे सिर पर लगी चोट या किसी तरह का संक्रमण हो सकता है। यहां तक कि कई बार यह ब्रेन ट्यूमर की वजह से भी होता है।
क्या है इसके लक्षण?
लक्षणों की बात करें, तो मिर्गी में दौरे पड़ना, जिसमें पूरे शरीर में झटके पड़ते हैं। कई बार पूरे शरीर में अकड़न आ जाती है, जिसमें व्यक्ति मूर्ती की तरह हो जाता है। कुछ रोगियों को शरीर में इस हद तक झटके पड़ने लगते हैं कि वे आसपास रखे सामान को भी गिरा देते हैं या विशेष रूप से सुबह के समय अचानक गिर जाते हैं।
मिर्गी के इलाज के क्या तरीके हैं?
आमतौर पर 70 प्रतिशत मामले दवाइयों की मदद से ठीक हो जाते हैं। एक मरीज़ को 2 से 3 साल तक दवाइयां लेनी होती हैं, जो इस पर निर्भर करता है कि मिर्गी किस तरह की है। कुछ मरीज़ों को ज़िंदगीभर इन दवाइयों का सेवन करना होता है। वहीं, कुछ मामलों में अगर दवाइयों से किसी मरीज़ को फायदा नहीं पहुंचता है, तो उसकी सर्जरी भी करनी पड़ती है। हालांकि, सर्जरी का विकल्प मिर्गी के बेहद खास मामलों में ही होता है। 70-75% मिर्गी के मरीज़ों को दवाइयों से ही आराम मिल जाता है।