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JNU में आतंकवाद रोधी कोर्स होंगे शुरू, कुलपति ने दी ये महत्वपूर्ण जानकारी


  • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने बुधवार को कहा कि नये आतंकवाद रोधी पाठ्यक्रम के अकादमिक गुणों पर ध्यान दिए बिना ही इसको लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। कुलपति ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले इंजीनियरिंग के छात्रों को यह पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने को लेकर शिक्षकों और छात्रों का एक गुट विरोध कर रहा है।

कुलपति ने कहा कि जिस तरह से भारत के पड़ोस में चीजें सामने आई हैं, वह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि जेएनयू जैसा शैक्षणिक संस्थान नेतृत्व करे और आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों का एक अच्छा समूह तैयार करे। इस बात पर जोर देते हुए कि कोर्स समग्र है, कुलपति ने कहा कि इसमें प्रमुख शक्तियों के बीच खूफिया सूचना और आतंकवाद विरोधी सहयोग की भूमिका और आतंकवाद का मुकाबला करने की सर्वोत्तम प्रथाओं और आतंकवाद से निपटने में प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय प्रयासों पर एक खंड शामिल है।

जेएनयू के प्रोफेसर अरविंद कुमार, जिन्होंने यह पाठ्यक्रम तैयार किया था, उन्होंने मंगलवार को कहा था कि यह किसी भी समुदाय को लक्षित नहीं करता है और यह विशुद्ध रूप से शैक्षणिक पाठ्यक्रम है। जेएनयू ने 2018 में डुअल डिग्री प्रोग्राम के साथ स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की स्थापना की थी. कुलपति ने कहा कि इस स्कूल में छात्र अपनी ग्रेजुएट की डिग्री के लिए पहले चार वर्षों में इंजीनियरिंग विषयों का अध्ययन करते हैं और पांचवें वर्ष में, वे मानविकी, सामाजिक विज्ञान, भाषा, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, प्रबंधन, विज्ञान और इंजीनियरिंग के किसी भी क्षेत्र में एक वर्षीय मास्टर डिग्री (एमएस) के लिए नामांकन करते हैं।

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य छात्रों को समग्र और बहु-विषयक शिक्षा प्रदान करना है। जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के एक वर्ग ने कोर्स शुरू करने पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि ‘जिहादी आतंकवाद’ ‘कट्टरपंथी-धार्मिक आतंकवाद’ का एकमात्र रूप है।