भाकियू का बड़ा नेता बनने की थी इच्छा
उन्नाव पवई गांव के संतोष सिंह भदौरिया करीब 1990 के दशक में भाकियू में राष्ट्रीय नेता बनने की इच्छा से शामिल हुए थे। उन्होंने किसानों की भीड़ लेकर कई धरने भी किए। यहां ज्यादा समय गुजरने के बाद भी जिला अध्यक्ष पद ही मिला। अधिवक्ताओं से भिड़ंत में पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ी तो राजनीति से मोह भंग हुआ। आर्थिक स्थिति खराब होने से नौबस्ता केंद्रांचल कालोनी में रहकर समाज से खुद को अलग कर लिया।
दूसरी पत्नी का प्लाट बेच शुरू किया जमीन व्यापार
संतोष भदौरिया ने रेलबाजार की रेनू सिंह से पहला विवाह किया था। आर्थिक संकट आने पर बाबा ने उन्हें भाग्य दोषी बताकर छोड़ दिया था। बाद में ममता तिवारी से विवाह कर लिया। ममता का कल्याणपुर में एक प्लाट बाबा ने बेचकर जमीन का व्यापार शुरू किया। ममता के भाइयों ने विरोध किया तो एक टेंपो खरीदकर दे दिया था।
आइपीएस ने बढ़ाया जमीन का कारोबार
शहर में रहे एक आइपीएस से बाबा के घरेलू संबंध हो गए थे। जिस पर बाबा विवादित जमीनें खरीदने और कब्जा करने लगा था। बाबा ने करौली गांव में एक भदौरिया परिवार की जमीन औने पौने में खरीदी थी। धीरे धीरे बाबा ने यहां करीब सौ बीघा जमीन बना ली। जहां बाबा ने आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा का अस्पताल बनाया। शहर में प्रचार के लिए सिविल लाइन पदम अपार्टमेंट में क्लीनिक खोला। इस व्यापार में भी कोई खास लाभ न होने पर वर्ष 2017 में बाबा ने पूर्वज मुक्ति केंद्र का रूप देकर खुद बाबा करौली सरकार बन गए।
रुपये देकर बनाए मरीज, वीडियो बनाकर किया प्रसारित
बाबा के करीबियों ने बताया कि व्यापार बढ़ाने को कुछ खास महिलाओं व पुरुषों को रुपये देकर मरीज बनाया। जो बाबा के बताए हुए तरीके से खुद पर भूत प्रेत और किसी पूर्वज की छाया होने का ढोंग करते थे। जिन्हें बाबा ओम शिव बैलेंस कर कहने के बाद त्रिशूल दिखकर सही कर देते हैं। वीडियो बनाकर इंटरनेट में प्रसारित किया जाता है। जिसे देख दूर-दूर से लोग आश्रम में आने लगे।
भीड़ बढ़ने पर बाबा ने खोल दिए पूजन के रेट
इंटरनेट पर बाबा के चमत्कारी वीडियो देख आश्रम में देश विदेश से लोगों की भीड़ जुटने लगी तो बाबा ने हवन पूजन और परामर्श के रेट निर्धारित कर दिये। भीड़ में मिलने के लिए 26 सौ रुपये, अकेले मिलने के लिए 11 हजार रुपये, पूर्वज मुक्ति और प्रेत बाधा से मुक्त कराने के नाम पर 21 हजार से लेकर 1.51 लाख तक संकल्पित हवन पूजन शामिल कर दिया।
बाबा का भेद खोलने वाले को होती जेल या फिर मौत
बिधनू घुरूवाखेड़ा गांव एक ओमप्रकाश नाम का व्यक्ति बाबा संतोष का बहुत नजदीकी था। किसी बात पर बाबा से विरोध हुआ तो उसने बाबा की पोल खोलनी शुरू की। बाद में उसका शव रेलवे पटरी पर मिला। घटना के बाद बाबा पर हत्या करा शव फिंकवाने की चर्चा रही। परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से लड़ नहीं सका। दो माह पहले बाबा ने आश्रम के पास गेस्ट हाउस संचालक नरेंद्र कुशवाह की जमीन पर कब्जा करना चाहा। विरोध किया तो बाबा ने एक युवती को थाने भेजकर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराकर नरेंद्र को जेल भेजवा दिया। जेल जाते ही बाबा ने जमीन पर निर्माण करा लिया।
साहस कर डाक्टर ने बाबा के खिलाफ खोला मोर्चा
बिधनू करौली गांव स्थित मानव मंदिर लवकुश आश्रम में बीती 22 फरवरी को चमत्कार दिखने में विफल बाबा संतोष भदौरिया ने समर्थकों से कहकर नोयडा के डा. सिद्धार्थ चौधरी की पिटाई कराकर नाक तुड़वा दी थी। डा. सिद्धार्थ बे बताया कि घटना के बाद पिता डा. वीरेंद्र चौधरी ,मां रेनू और पत्नी प्रियंका भयभीत हो गई थी। बाबा के भय से स्वजन कल्याणपुर स्थित नर्सिंगहोम में उपचार कराकर वापस नोयडा ले गए। एक माह बाद चोंट में सुधार होने पर उन्होंने बाबा के खिलाफ पुलिस से शिकायत करने की बात कही, लेकिन स्वजन ने बाबा के भय की वजह से मना कर दिया।
घटना के बाद भयभीत स्वजन उपचार के बाद डाक्टर को ले गए थे नोयडा
बीते रविवार को उन्होंने साहस जुटाकर कानपुर आये और पुलिस आयुक्त बीपी जोगदंड से शिकायत की। जिसपर पुकिस आयुक्त ने घटना के वीडियो और मेडिकल रिपोर्ट देख तुरंत एक इंस्पेक्टर को साथ बिधनू थाने भेजकर बाबा और उसके समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि यदि वह शांत बैठ जाते तो बाबा के कारनामे सबके सामने कभी नहीं आते। अभी बहुत से ऐसे बाबा से पीड़ित लोग भयवश शांत बैठे हुए हैं। उनके बाबा के खिलाफ कदम उठाने से अन्य लोग भी हिम्मत जुटा सकेंगे। अस्पताल में घटना की जानकारी दिए बिना इलाज कराया था।