नई दिल्ली। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद भी दिल्ली बार्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की अगुवाई करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े नेता का बयान आया है। इसके मुताबिक, जब तक किसानों पर किए गए मुकदमे वापस नहीं होंगे, तब तक घर वापसी नहीं होगी। इस बाबत संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े नेताओं में शुमार डा. दर्शन पाल ने कहा है कि हमने 5 सदस्यीय समिति बनाई है जिससे सरकार हमारे मुद्दों पर बात कर स्पष्ट करे, लेकिन सोमवार तक उनसे कोई बात नहीं हुई। आज हमारी बैठक है, बैठक में हम समिति से पूछेंगे और वो जो रिपोर्ट करेंगे उसके आधार हम आगे काम करेंगे। केस वापस नहीं होंगे तो घर वापसी नहीं होगी।
उधर, पिछले दिनों दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में शामिल हुए किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने इशारा किया था कि केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बातचीत के लिए बनी 5 सदस्यीय कमेटी बनने से सभी संगठन सहमत है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने के लिए भी सहमत है। एसकेएम ने कहा कि किसान तब तक प्रदर्शन स्थलों से नहीं हटेंगे, जब तक सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ दर्ज मामले वापस नहीं ले लेती।
पिछले दिनों सिंघु बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में शामिल हिम्मत सिंह गुर्जर ने दावा किया था कि मंगलवार की बैठक में आंदोलन की वापसी का ऐलान हो सकता है, लेकिन अब ऐसा नहीं लगता है। हिम्मत सिंह गुर्जर ने यह भी कहा था कि किसानों को मुआवजा देने पर गृह मंत्रालय से बात हो गई है। इसके तहत पंजाब माडल पर मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा मिलेगा।