हेनिपावायरस को लांग्या नाम से भी जाना जाता है और यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि अधिकारियों ने वायरस का पता लगाने और इसके प्रसार को ट्रैक करने के लिए न्यूक्लिक एसिड टेस्ट का उपयोग करना शुरू कर दिया है।
वायरस के बारे में अभी तक क्या पता है?
डेली मेल की रिपोर्ट का दावा है कि इंसानों में लांग्या पहली बार चीन के शैनडॉन्ग प्रांत में जनवरी 2019 में पाया गया था। इसके कुछ दिन बाद देश के दूसरे हिस्सों में 14 नए मामलों का पता चला था। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के पहले साल यानी जनवरी से जुलाई 2020 के बीच कोई मामला सामने नहीं आया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, वायरस छछूंदरों के तरह के छोटे जानवरों से आया है, जिनका शरीर लंबा, छोटा, पतले अंग और पंजे वाला होता है। चीनी शोधकर्ताओं ने करीब 262 छछूंदरों में 71 मामले पाए, इसके अलावा कुछ कुत्तों और बकरियों में भी यह वायरस देखा गया।
लांग्या वायरस के लक्षण क्या हैं?
संक्रमित मरीज़ों में सबसे आम लक्षण बुखार देखा गया। वहीं दूसरे लक्षणों में कमज़ोरी 54 फीसदी मरीज़ों में दिखी, खांसी 50 फीसदी, भूख न लगना 50 फीसदी, मांसपेशियों में दर्द 46 फीसदी और 38 फीसदी मरीज़ों ने मतली का अनुभव किया।
कितना ख़तरनाक है लांग्या वायरस?
अभी तक लांग्या वायरस के मामले जानलेवा या गंभीर साबित नहीं हुए हैं।