बाला साहब किसी एक के नहींः दीपक केसरकर
शिंदे के कार्यालय में लगाई गई इन तस्वीरों के बारे में पूछे जाने पर शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि इस तथ्य को कोई बदल नहीं सकता कि बाला साहब किसी एक के नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के हैं। जबकि शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट बाल साहब ठाकरे का नाम और तस्वीर किसी और गुट द्वारा इस्तेमाल किए जाने पर आपत्ति करता रहा है।
शिंदे मंत्रिमंडल ने इसलिए अभी नहीं ली शपथ
राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार गिरने के बाद एकनाथ शिंदे ने पिछले सप्ताह 30 जून को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उनके साथ ही उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद भी दोनों नेता मंत्रालय आए थे, लेकिन उस दिन शिंदे मुख्यमंत्री कार्यालय में नहीं बैठे थे। कांफ्रेंस रूम में सचिवों के साथ बैठक कर उन्हें प्रशासन संबंधी आवश्यक निर्देश देकर चले गए थे। शिंदे मंत्रिमंडल ने भी अभी शपथ नहीं ली है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के लिए 11 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय में शिवसेना के दोनों गुटों के मुख्य सचेतकों की ओर से एक-दूसरे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका सहित कई और मसले लंबित हैं।
तो बढ़ सकती हैं उद्धव ठाकरे गुट की मुसीबतें
यदि अदालत ने उद्धव गुट के सचेतक सुनील प्रभु की याचिका को सही मानते हुए शिंदे गुट के 40 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया, तो नई नवेली सरकार के लिए कुछ दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं, लेकिन सोमवार को विश्वासमत पर हुए मतदान के आंकड़ों पर भरोसा किया जाए तो सरकार के अस्तित्व पर कोई संकट दिखाई नहीं देता। लेकिन यह तय है कि यदि सर्वोच्च न्यायालय ने शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले की नियुक्ति को सही करार दिया, तो उद्धव ठाकरे गुट की मुसीबतें और बढ़ जाएंगी।
शिंदे के समर्थन में ठाणे में निकली आटो रिक्शा रैली
शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की ओर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को रिक्शावाला बताया जाना अब उद्धव गुट को ही भारी पड़ता दिख रहा है। गुरुवार को शिंदे के प्रभाव क्षेत्र ठाणे में आटोरिक्शा चालकों ने उनके समर्थन में बड़ी आटोरिक्शा रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया। उद्धव ठाकरे को एक और झटका ठाणे के 66 पूर्व शिवसेना सभासदों का शिंदे गुट का दामन थाम लेना भी रहा।
आटो रिक्शा चालकों ने इसलिए निकाली रैली
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को शिवसेना कार्यकर्ताओं के एक गुट को संबोधित करते हुए नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि भाजपा महाविकास आघाड़ी सरकार को तीन पहिए की सरकार कहती थी। लेकिन अब एक तिपहिया (आटोरिक्शा) चलाने वाला व्यक्ति ही राज्य के मुख्यमंत्री पद पर काबिज है। शिंदे ने भी उद्धव के इस तंज का जवाब देते हुए कहा था कि रिक्शा ने मर्सिडीज को पीछे छोड़ दिया है। शिवसेना के एक अत्यंत साधारण कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे एकनाथ शिंदे पहले अपने जीविकोपार्जन के लिए आटोरिक्शा चलाया करते थे। इसलिए उद्धव ठाकरे द्वारा उन पर किए गए तंज को ठाणे के आटोरिक्शा चालकों ने दिल पर ले लिया। उन्होंने गुरुवार को एकनाथ शिंदे के समर्थन में ठाणे नगरनिगम के सामने बड़ा बैनर लगाया और आटोरिक्शा की एक बड़ी रैली भी निकाली। आटो ड्राइवरों ने अपने रिक्शा पर बैनर लगा रखे थे कि, “हां, हमें गर्व है कि हमारा रिक्शावाला मुख्यमंत्री बना।” रैली में शामिल रिक्शाचालकों ने सफेद रंग की टीशर्ट पहन रखी थी, जिसपर एक आटोरिक्शा की तस्वीर बनी थी, और नीचे मराठी में लिखा था – मी रिक्शाचालक, मी मुख्यमंत्री। यानी मैं रिक्शाचालक, मैं मुख्यमंत्री।
उद्धव का तंज उन पर भी पड़ा भारी
उद्धव ठाकरे का तंज उन पर इसलिए भी भारी पड़ता दिख रहा है, क्योंकि शिंदे गुट पूरे प्रदेश के रिक्शाचालकों को अब अपने से जोड़ने की योजना बनाने पर जुट गया है। शिंदे गुट के एक विधायक उदय सामंत ने मुख्यमंत्री शिंदे को पत्र लिखकर कहा है कि तमिलनाडु में 2006 से ही तमिलनाडु मैनुअल वर्कर्स सोशल सिक्योरिटी एंड वेलफेयर स्कीम लागू की गई है। इसके जरिए वहां के आटोरिक्शा व टैक्सी चालकों की मदद की जाती है। चूंकि महाराष्ट्र में भी अनुमानतः 8.32 लाख आटोरिक्शा व करीब 90 हजार टैक्सी परमिटधारक हैं। महाराष्ट्र में 2013 से ही इन आटो-टैक्सी चालकों के लिए मंडल गठित करने का प्रस्ताव लंबित है, जोकि अब किया जाना चाहिए। यदि उदय सामंत के इस सुझाव पर शिंदे सरकार अमल करने में कामयाब रही, तो उन्हें राज्य भर के आटो-टैक्सी चालकों की सहानुभूति हासिल हो सकती है।
उद्धव गुट के लिए नहीं दिख रहे अच्छे संकेत
शिवसेना के उद्धव गुट को छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हुए ठाणे के 66 सभासदों में से कई आटोरिक्शा रैली में भी शामिल हुए। ठाणे महानगरपालिका मुंबई के बाद शिवसेना का सबसे मजबूत गढ़ मानी जाती रही है। मुंबई की तरह यहां भी महानगरपालिका का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लेकिन जिस तरह शिवसेना के 67 में से 66 पूर्व सभासद उद्धव गुट का साथ छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हो गए, उससे भविष्य में उद्धव गुट के लिए संकेत अच्छे नहीं दिखाई दे रहे।