उन्होंने कहा कि उस दिन (यानी 20 जून को विधान परिषद चुनाव के दिन) मेरे साथ जिस तरह का बर्ताव हुआ, उसके गवाह इधर के और उधर के कई विधायक हैं। मैं पूरी विनम्रता से कह रहा हूं कि उसके बाद मुझे क्या हुआ, ये मुझे खुद पता नहीं। बालासाहब अक्सर कहा करते थे कि अन्याय के विरुद्ध न्याय मांगने के लिए जो कुछ भी करना पड़े करना चाहिए। उसके बाद मैंने फोन लगाना शुरू किया। लोग इकट्ठा होने लगे। मैं कहां जा रहा हूं, क्या कर रहा हूं, क्यों जा रहा हूं, मैंने इस बारे में किसी से कोई विचार नहीं किया और निकल पड़ा।
देवेंद्र फडणवीस बड़े कलाकार : शिंदे
जब शिंदे ने पिछले तीन सप्ताह से चल रहे सियासी घटनाक्रम के पीछे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भूमिका का जिक्र किया तो पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा। शिंदे ने कहा कि मेरे बगल में बैठे देवेंद्र फडणवीस बड़े कलाकार हैं। राज्यसभा चुनाव में हमारी सारी सेटिंग हो चुकी थी। हमारे दो उम्मीदवार चुनकर आना तय था। उसी के अनुसार हमने मतदान भी किया। लेकिन फडणवीस ने पांसा कैसे पलटा, इसका हमें पता भी नहीं चल सका।
मैं गद्दार नहीं हूं मैं शिवसैनिक हूं : शिंदे
विश्वासमत जीतने के बाद सदन में बोलनेवालों का धन्यवाद ज्ञापन करने खड़े हुए शिंदे का दर्द पिछले कुछ दिनों से खुद पर की जा रही टिप्पणियों को लेकर छलक पड़ा। सदन में मौजूद शिवसेना विधायकों को संबोधित करते हुए शिंदे ने कहा कि मैं गद्दार नहीं हूं। मैं शिवसैनिक हूं। महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान अनेक शिवसैनिकों पर झूठे मामले दर्ज किए गए। उन्हें तड़ीपार का नोटिस दिया गया। उन्हें धमकियां दी जाती रही हैं। ये सब खुद शिवसेना के सत्ता में रहते हुए होता रहा। शिवसैनिकों को क्या मिला ?