नई दिल्ली, : अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों की राजनीति में भारतवंशियों का दबदबा बढ़ा है। यही कारण है कि अमेरिका में हो रहे मिड टर्म चुनाव में भी डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी की नजर भारतीयों पर टिकी है। हाल के वर्षों में अमेरिकी सियासत में भारतीयों का वर्चस्व बढ़ा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के कई राज्यों में भारतीयों की तादाद किसी भी राजनीतिक दल का खेल बिगाड़ने में सक्षम हैं। आइए जानते हैं कि अमेरिका में भारतीयों की कितनी तादाद है। अमेरिका के कितने राज्यों में इनका वर्चस्व है। इसके साथ यह भी जानेंगे कि मिड टर्म चुनाव के नतीजें किस तरह से अमेरिकी राजनीति को प्रभावित करते हैं। इन चुनावों के परिणामों की आंच व्हाइट हाउस तक कैसे पहुंचती है।
अमेरिका के 10 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं भारतीय
अमेरिका में भारतवंशियों की संख्या करीब 42 लाख है। अमेरिका की कुल आबादी में भारतीयों की हिस्सेदारी महज एक फीसद है। अमेरिका के कई राज्यों में भारतवंशियों की इतनी तादाद है कि वह चुनाव में किसी का भी खेल बिगाड़ सकते हैं। अमेरिका के छह राज्यों में इनका दखल है। कांग्रेस के करीब 10 सीटों पर इनकी निर्णायक भूमिका होती है। सौ सदस्यों वाली सीनेट में एक-एक सीट पर कड़ी टक्कर होती है। ऐसे में कांग्रेस की दस सीटों पर दखल अमेरिकी सियासत को गहरे से प्रभावित करती है। यही वजह है कि अमेरिका में चाहे डेमोक्रेटिक हो या रिपब्लिकन भारतीयों को इगनोर नहीं कर सकते हैं।
अमेरिका के इन राज्यों में हैं भारतीयों की बड़ी तादाद
अमेरिका के न्यूयार्क, इलिनोइस, कैलिफोर्निया, टेक्सास और न्यूजर्सी में भारतीयों का राजनीतिक वर्चस्व है। इन इलाकों में भारतीयों की बड़ी तादाद रहती है। इन इलाकों में वह हार और जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। उधर, अमेरिका के कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां भारतीयों की तादाद भले कम हो, लेकिन चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। ये ऐसे राज्य हैं जहां चुनाव में हार और जीत का अंतर ज्यादा नहीं होता है। इस तरह से अमेरिकी स्विंग वाले राज्यों में वह एक महत्वपूर्ण वोट के रूप में उभरे हैं। इन राज्यों में प्रमुख रूप से जार्जिया, वर्जिनिया, मिशिगन और ऐरिजोना हैं।
मिड टर्म चुनाव में तीन राज्यों पर होगी नजर
खास बात यह है कि मिड टर्म चुनाव में जिन तीन राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन की नजर है, उसमें भारतवंशी काफी प्रभावशाली हैं। इन राज्यों में प्रमुख रूप से जार्जिया, पेंसिल्वेनिया और विस्कान्सिन हैं। वर्ष 2020 में जो बाइडन ने विस्कान्सिन से 20 हजार मतों से जीत हासिल की थी। इसके पूर्व वर्ष 2016 में डोनाल्ड ट्रंप ने 22 हजार मतों से जीत हासिल की थी। इसी तरह से पेंसिल्वेनिया का चुनाव बाइडन ने 80 हजार वोटों से जीता था, जबकि ट्रंप ने वर्ष 2016 में 50 हजार मतों से जीता था। वर्ष 2020 में बाइडन ने जार्जिया में 12 हजार मतों से जीत हासिल की और 2016 में ट्रंप ने दो लाख वोटों से जीत हासिल की थी।
सीनेट के चुनाव में कांटे की टक्कर
राष्ट्रपति बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी की नजर सीनेट में बहुमत हासिल करने की होगी। अभी इस पार्टी का सीनेट में बहुमत नहीं है। डेमोक्रेटिक के लिए यह प्रतिष्ठा का विषय है। सीनेट में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है। फिलहाल मौजूदा समय में सौ सदस्यों वाली सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी के 50 और डेमोक्रेटिक पार्टी के पास 48 सीटें हैं। यानी सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी की बढ़त है। इसके साथ हाउस आफ रिप्रेजेन्टेटिव में बाइडन की पार्टी बहुमत में है। डेमोक्रेटिक पार्टी के पास 221 सांसद हैं। यह अमेरिका का निम्न सदन है।
मिड टर्म चुनाव पर भारत समेत दुनिया की नजरें
गौरतलब है कि अमेरिका में हो रहे मिड टर्म चुनाव पर भारत समेत दुनिया की नजरें टिकी हैं। मिड टर्म चुनाव अमेरिका के दोनों सदनों यानी हाउस आफ रिप्रेजेन्टेटिव के 435 सीटों और सीनेट के 100 में से 35 सीटों पर होना है। मिड टर्म चुनाव में अमेरिका के 36 राज्यों के गवर्नर के लिए भी चुनाव होना है। अमेरिका में वर्ष 2024 में राष्ट्रपति चुनाव के पहले होने वाले मिड टर्म इलेक्शन कई मायनों से बेहद उपयोगी है। दरअसल, अमेरिका में मिड टर्म चुनाव राष्ट्रपति के चार वर्ष के कार्यकाल के बीच की अवधि में होता है। इसमें संसद के दोनों सदनों हाउस आफ रिप्रेजेन्टेटिव यानी निम्न सदन और सीनेट यानी उच्च सदन के सदस्यों का चुनाव किया जाता है। इसमें राज्य के गवर्नरों का भी चुनाव किया जाता है। इस चुनाव में यह तय होता है कि होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में किस पार्टी का वर्चस्व होगा।