मुंबई। : महाराष्ट्र में भाजपा के अजित पवार के साथ गठबंधन को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े होने लगे है। दरअसल, पिछले महीने हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा को भारी नुकसान हुआ। राज्य में मिली करारी हार के बाद अब आरएसएस से जुड़ी मराठी पत्रिका ने एक आर्टिकल पब्लिश किया है, जिसमें अजित पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को हार का जिम्मेदार ठहराया गया है।
RSS ने जताई आपत्ति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े एक मराठी मैग्जीन ने भाजपा का अजित पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ हुए गठबंधन को लेकर आपत्ति जताई है। मैग्जीन में दिए गए एक लेख में कहा गया है कि लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में भाजपा का प्रदर्शन इसलिए खराब रहा क्योंकि बीजेपी ने अजित पवार की पार्टी NCP के साथ गठबंधन किया।
‘कार्यकर्ता हताश नहीं, बल्कि भ्रमित’ शीर्षक से पब्लिश हुआ लेख
RSS मैग्जीन ‘विवेक’ में ‘कार्यकर्ता हताश नहीं, बल्कि भ्रमित’ शीर्षक से एक आर्टिकल पब्लिश किया गया है। इस आर्टिकल में भाजपा और उसके कार्यकर्ताओं के बीच संवाद की कमी को भी खराब चुनावी प्रदर्शन का भी एक कारण बताया गया है। बता दें कि यह लेटेस्ट आर्टिकल आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ में पब्लिश एक अन्य लेख के कुछ सप्ताह बाद आया है।
शिंदे के शिवसेना गुट के साथ भाजपा का गठबंधन स्वाभाविक
पत्रिका में लिखा गया है कि, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के शिवसेना गुट के साथ भाजपा का गठबंधन ‘स्वाभाविक’ था जिसे वोटर्स ने स्वीकार किया। हालांकि, जब अजित पवार की एनसीपी तस्वीर में आई तो भावना विपरीत दिशा में चली गई।
RSS मैग्जीन के आर्टिकल में आगे कहा गया है कि ‘लोकसभा चुनाव में मिली हार के कारणों की चर्चा करते हुए लगभग हर कार्यकर्ता ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन की चर्चा शुरू कर दी। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा कार्यकर्ता एनसीपी को साथ लेकर नहीं चलना चाहते थे।’
भाजपा को मिली करारी हार
भाजपा, शिंदे सेना और अजित पवार की एनसीपी से मिलकर बने महायुति गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 48 में से केवल 17 सीटें जीतीं जो की 2019 में जीती गई 41 सीटों से बेहद कम है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी से मिलकर बने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने 30 सीटें जीतीं जो की 2019 के चुनावों के मुकाबले काफी बेहतर है।
लोकसभा के नतीजों ने इस नाराजगी को और तूल दिया
आर्टिकल में आगे कहा गया है कि शिंदे सेना के साथ भाजपा का गठबंधन हिंदुत्व पर आधारित है और इसलिए यह ‘स्वाभाविक’ है। कुछ अड़चनों के बावजूद, हिंदुत्व एक साझा कड़ी है और गठबंधन (भाजपा और शिवसेना के बीच) का इतिहास दशकों पुराना है, मतदाता आश्वस्त थे कि यह गठबंधन स्वाभाविक है। लेकिन एनसीपी के साथ आने के बाद यही भावना दूसरी चरम सीमा पर जाने लगी। फिर, लोकसभा के नतीजों ने इस नाराजगी को और तूल दे दिया। बेशक, राजनीतिक नेताओं या पार्टियों के अपने-अपने गणित होते हैं।’
लेख में यह भी दावा किया गया है कि भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो कार्यकर्ताओं को नेता बनाती है, लेकिन अब कार्यकर्ताओं को लगता है कि यह प्रक्रिया उलट गई है। लेख में विपक्ष द्वारा भाजपा के खिलाफ ‘वाशिंग मशीन’ के तंज का भी जिक्र किया गया।