वॉशिंगटन: अमेरिका ने परमाणु समझौते के मुद्दे (Nuclear Deal) पर ईरान से दो टूक शब्दों में कहा है कि उसके धैर्य की भी सीमा है. जो बाइडेन (Joe Biden) प्रशासन ने ईरान (Iran) की खामोशी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अमेरिका के पास असीमित धैर्य नहीं है. वह केवल एक सीमा तक ही धैर्य बनाए रह सकता है. दरअसल, अमेरिका ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह ईरान और विश्व की अन्य ताकतों के साथ 2015 के परमाणु समझौते पर वापस लौटने के संबंध में वार्ता को तैयार है, लेकिन अब तक ईरान ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है.
‘Iran को आगे आना होगा’
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस (Ned Price) ने कहा कि हमारे पास असीमित धैर्य नहीं है. राष्ट्रपति जो बाइडेन शुरुआत से इस मुद्दे पर अपने विचार प्रकट करते आए हैं. उनका मानना है कि ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए कूटनीति कदम उठाए जाने चाहिए और अमेरिका वही कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि प्रेसिडेंट 2015 के परमाणु समझौते में वापस लौटना चाहते हैं, लेकिन उसके लिए ईरान को आगे आना होगा.
P5+1 के साथ बैठक को तैयार US
नेड ने कहा कि कहा हम परमाणु समझौते पर बातचीत की पेशकश पर ईरान के जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन हमारे पास असीमित धैर्य नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका यूरोपियन यूनियन के उच्च प्रतिनिधि के निमंत्रण पर पी5+1 और ईरान के साथ परमाणु समझौते के संबंध में बैठक में शामिल होने को तैयार है. बता दें कि पी5+1 का आशय सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई प्रतिनिधि चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं और प्लस 1 में जर्मनी को शामिल किया गया है. जर्मनी 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन के समझौता करने के दौरान शामिल था.
Khamenei ने रखी शर्त
वहीं, ईरान का कहना है कि बातचीत से पहले अमेरिका को डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लगाए गए प्रतिबंध हटाने होंगे. हाल ही में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई (Ayatollah Ali Khamenei) ने कहा था कि यदि अमेरिका चाहता है कि ईरान पश्चिमी शक्तियों के साथ किए गए परमाणु समझौते की अपनी प्रतिबद्धता पर वापस लौटे, तो पहले उसे सभी प्रतिबंध हटाने होंगे. माना जा रहा है कि ईरान के इस अड़ियल रुख के चलते अमेरिका के साथ उसके रिश्तों में टकराव और बढ़ सकता है.