नई दिल्ली, हरियाणा के नूंह (Nuh Violence) में सोमवार को हुई दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को नूंह हिंसा मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि वीएचपी के विरोध मार्च के दौरान कोई नफरत भरा भाषण या हिंसा न हो।
सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में विहिप और बजरंग दल द्वारा आयोजित मार्च के दौरान दिल्ली-एनसीआर में कोई नफरत भरा भाषण या हिंसा न हो।
पीठ ने अर्धसैनिक बलों की तैनाती का दिया आदेश
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवी भट्टी की पीठ ने यह भी आदेश दिया कि अतिरिक्त पुलिस या अर्धसैनिक बल तैनात किए जाएं और संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएं।
हिंदू संगठनों ने किया विरोध-प्रदर्शन का ऐलान
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश तब पारित किया है, जब पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने कहा कि दक्षिणपंथी समूहों विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनों की घोषणा की गई है।
नूंह में 31 जुलाई को भड़की थी हिंसा
उल्लेखनीय है कि 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह में विहिप के जुलूस को रोकने की कोशिश के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में दो होमगार्ड सहित छह लोगों की मौत हो गई है। राज्य सरकार के अनुसार, हिंसा के बाद से अब तक 116 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।