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Odisha : नवीन पटनायक की विरासत कौन संभालेगा? इस नाम की चर्चा जोरों पर; सियासी अटकलें तेज


भुवनेश्वर। Odisha Political News Today: बीजू जनता दल की हार के बाद बीजू पटनायक के पोते अरुण पटनायक ओडिशा पहुंचे। जहां बीजद की हार के लिए वीके पांडियन और उनकी टीम को दोषी ठहराया जा रहा है, वहीं अरुण के अचानक भुवनेश्वर पहुंचने से बीजद की राजनीति गर्म हो गई है। इस बात को लेकर अटकलें हैं कि नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) के उत्तराधिकारी के तौर पर अरुण बीजद का नेतृत्व करेंगे या फिर नवीन को सांत्वना देकर दिल्ली लौट आएंगे।

नवीन पटनायक के भतीजे संभाल सकते हैं विरासत

जानकारी के मुताबिक, नवीन पटनायक के बड़े भाई प्रेम पटनायक के बेटे अरुण भुवनेश्वर पहुंचे। बीजेडी नेता वीके पांडियन के साथ वह दिल्ली से आए और सीधे नवीन निवास गए। बीजद के संगठन सचिव प्रणब प्रकाश दास (बॉबी) ने हवाई अड्डे पर अरुण और पांडियन की अगवानी की। पांडियन और बॉबी नवीन निवास में कुछ समय बिताने के बाद अपने घर लौट गए हैं। पता चला है कि अरुण नवीन निवास में नवीन के साथ है।

पांडियन की टीम को हार के लिए दोषी ठहराया जा रहा

वीके पांडियन और उनकी टीम को बीजद की हार के लिए दोषी ठहराया जा रहा है क्योंकि भाजपा 10 जून को राज्य में अपनी सरकार बनाने के लिए तैयार है। बीजद में पांडियन विरोधी भावना अधिक से अधिक मुखर हो रही है। पार्टी के इस खराब प्रदर्शन के बाद अब बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक सामने आए हैं और सीधे पार्टी विधायकों, हारे हुए उम्मीदवारों और अन्य लोगों से सीधे मुलाकात कर रहे हैं। लेकिन बैठक के दौरान पांडियन को दरकिनार कर दिया गया है।

पटनायक ने  पांडियन को उत्तराधिकारी बनाने से किया था इंकार

हालांकि, पिछले हफ्ते नवीन पटनायक ने कहा था कि पांडियन उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं, इसलिए अब बीजद अरुण को लाकर पार्टी को बचाने की कोशिश कर रही है। बीजद के एक वर्ग ने कहा है कि नवीन के सक्रिय होने पर पार्टी का नेतृत्व अरुण को देने की योजना हो सकती है क्योंकि बीजद की स्थिरता को लेकर आशंकाएं हैं।

हालांकि एक अन्य गुट का कहना है कि नवीन के परिवार के सदस्य (अरुण) उन्हें सांत्वना देने भुवनेश्वर आए हैं कि केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री रहने के 27 साल बाद वह मानसिक रूप से टूट जाएंगे। अरुण 2-3 दिन रुककर दिल्ली लौट जाएंगे। पहले ही अरुण को राजनीति में लाने की कोशिश हुई थी मगर उन्होंने मना कर दिया था। ऐसे में सभी की निगाहें अब बदली परिस्थितियों में अरुण की भूमिका पर होंगी।

बीजद की हार के बाद मीडिया से दूर रहे वी के पांडियन बुधवार रात दिल्ली चले गए और अब अरुण पटनायक के साथ भुवनेश्वर लौट आए हैं।