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Parliamentary Committee Report: देश में साइबर अपराध बन चुका है सिरदर्द, अब तक इतने लोग हो चुके हैं शिकार


नई दिल्ली, देश में टेक्नोलाजी (Technology) के क्षेत्र में विकास के साथ-साथ साइबर अपराध (Cyber Crimes) भी पांव पसारने लगा है। आज पूरे देश में साइबर अपराध एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा है। साइबर अपराधी भोले-भाले लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीके खोजते रहते हैं, जो पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इन अपराधियों को ट्रैक करना भी मुश्किल हो जाता है। NCRB के आंकड़ों के अनुसार, साइबर अपराध के मामले 2018 की तुलना में 21,796 से बढ़कर 2020 में 50,035 हो गए हैं।

समिति ने साइबर अपराधों पर व्यक्त की चिंता

गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee on Home Affairs) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पुलिस को अपराधियों द्वारा अपनाए गए नए तौर-तरीकों और टेक्नोलाजी के उपयोग को ध्यान में रखना होगा। समिति ने बढ़ते मामलों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि इन खतरों से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को एक साथ आने की जरूरत है। रिपोर्ट में साइबर अपराध के खतरे से लड़ने के लिए कई राज्यों में पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी का भी खुलासा किया गया है। इसमें कहा गया है कि पंजाब, राजस्थान, गोवा, असम में एक भी साइबर क्राइम सेल नहीं है, जबकि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक या दो की स्थापना की गई है।

कमजोर लोगों को बनाते है निशाना

इस पर ध्यान देते हुए, समिति ने सिफारिश की है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय राज्यों को सभी जिलों में साइबर सेल स्थापित करने की सलाह दे सकता है। राज्यों को साइबर क्राइम हॉटस्पॉट का नक्शा बनाना चाहिए जो अपराधों का तुरंत पता लगाने में मदद करेगा और उन्हें रोकने के लिए उपाय करेगा। समिति ने पाया कि ये अपराध मुख्य रूप से वित्तीय लेनदेन से संबंधित हैं और अपराधी न केवल निर्दोष और कमजोर लोगों, विशेष रूप से बुजुर्ग लोगों को निशाना बनाते हैं। कभी कभी इसमें जाने-माने व्यक्ति भी फंस जाते हैं।

साइबर क्राइम हेल्प डेस्क बनाने की जरूरत

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की पुलिस को साइबर अपराधों की तत्काल रिपोर्टिंग के लिए एक साइबर क्राइम हेल्प डेस्क बनाना चाहिए, जिससे उनके द्वारा जल्द जांच की जा सके। समय पर हस्तक्षेप से ऐसे अपराधों की रोकथाम के साथ-साथ पीड़ितों को राहत मिल सकती है।’ समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय को IT Experts के स्वयंसेवी सहायता समूह बनाने पर विचार करना चाहिए, जो साइबर आपराधियों को ट्रैक करने और पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद कर सकते हैं।