नई दिल्ली। नई दिल्ली के कूटनीतिक गलियारे में जिस तरह की हलचल अभी देखी जा रही है वैसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद जिस तरह से भारत को प्रभावित करने में वैश्विक मंच का हर खेमा जुटा हुआ है उसकी बानगी अगले कुछ दिनों के दौरान और देखने को मिलेगी। एक तरफ ब्रिटेन और रूस के विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर पहुंच रहे हैं तो दूसरी तरफ रूस के खिलाफ अमेरिका की नीति बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले भारतवंशी डिप्टी एनएसए दिलीप सिंह भी यहां आ रहे हैं। यह हफ्ते भर में अमेरिका के किसी वरिष्ठ अधिकारी की दूसरी भारत यात्रा होगी।
इसी के साथ यूरोपीय देशों के संगठन यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट उर्सूला लेयेन की भारत यात्रा की भी तैयारियां शुरु हैं। मैक्सिको के विदेश मंत्री मार्सेलो एबरार्ड भी बुधवार को नई दिल्ली की दो दिवसीय यात्रा पर होंगे। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा भी 01 से 03 अप्रैल तक भारत के दौरे पर होंगे। आना तो इजरायल के पीएम नेफ्ताली बेनेट को भी था लेकिन कोरोना की चपेट में आने से उनकी और इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गांत्ज की यात्रा टल गई है। दोनो देश संपर्क में हैं और बहुत जल्द ही इन दोनो की यात्रा की अगली तिथि तय होगी।
अमेरिका के डिप्टी एनएसए दिलीप सिंह की यात्रा को दो वजहों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एक तो यूक्रेन रूस विवाद पर भारत को अपने विचार से अवगत कराना और दूसरा, अगले महीने दोनो देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों की टू प्लस टू वार्ता की तैयारियों को आगे बढ़ाना। यह कोई छिपी बात नहीं है कि यूक्रेन विवाद पर भारत ने रूस को लेकर जो स्टैंड लिया है उससे अमेरिका खुश नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति भारत की नीति को अस्थिर करार दे चुके हैं। दिलीप सिंह को जो बाइडन प्रशासन की रूस नीति के प्रमुख रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है। इस लिहाज से उनका आने की खास अहमियत हो जाती है।