नई दिल्ली । रूस और यूक्रेन का विवाद अब एक युद्ध का रूप ले चुका है। पूरी दुनिया की नजरें इन दोनों देशों के अलावा यूरोप और अमेरिका पर भी लगी हुई हैं। लेकिन क्या आप रूस के यूक्रेन पर हमले की असल वजह के बारे में जानते हैं। यदि नहीं तो आज हम इसके बारे में आपको बता देते हैं। इससे पहले अआपको बता देते हैं कि रूस के विघटन के बाद जो देश अलग हुए थे उनमें यूक्रेन भी एक था। रूस के साथ में उस वक्त क्रीमिया भी था जिसको वर्ष 2014 में रूस ने आजाद कर अपने नियंत्रण में ले लिया था। इसके अलावा यूक्रेन के डोनबास, लुहांस्क और डोनेस्तक में रूसी समर्थकों बहुसंख्यक हैं। यूक्रेन के बाहर की बात करें तो बेलारूस, जार्जिया पूरी तरह से रूस के साथ हैं। इसका अर्थ ये भी है कि यूक्रेन रूस से पूरी तरह से घिरा हुआ है। अब हम उन कारणों की बात करते हैं जिसकी वजह से रूस को यूक्रेन पर हमले का कदम उठाना पड़ा है।
इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका द्वारा यूक्रेन को नाटो संगठन में शामिल करने की कवायद है। अमेरिका के वर्चस्व वाले इस संगठन में 30 देश शामिल हैं जिनमें से अधिकतर यूरोप के ही हैं। हालांकि इसमें सबसे अधिक जवान अमेरिका के ही हैं। रूस पर दबाव बनाने और अपने पुराने विवादों के कारण अमेरिका लगातार इस तरह की कवायद करता रहा है। अमेरिका पहले से ही रूस पर प्रतिबंध लगाकर उसको दबाव में लाने की कवायद कर चुका है। हालांकि उसकी ये चाल अब तक काम नहीं आई थी। अब वो यूक्रेन के सहारे इस काम को करना चाहता है। रूस की चिंता ये है कि यदि यूक्रेन नाटो के साथ चला जाता है तो उसकी सेना और उसके हथियारों के दम पर अमेरिका उसको नुकसान पहुंचाने में आशिंक रूप से सफल हो सकता है।
इस हमले की दूसरी वजह अमेरिका और पश्चिमी-यूरोपीय देशों का नार्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन पर रोक लगाना भी शामिल है। आपको बता दें कि रूस ने इस परियोजना पर अरबों डालर का खर्च किया है। रूस इसके जरिये फ्रांस, जर्मनी समेत समूचे यूरोप में गैस और तेल की सप्लाई करना चाहता है। इससे पहले ये सप्लाई जिस पाइपलाइन के जरिए होती थी वो यूक्रेन से जाती थी। इसके लिए रूस हर वर्ष लाखों डालर यूक्रेन को अदा करता था। नई पाइपलाइन के बन जाने से यूक्रेन की कमाई खत्म हो जाएगी। यूक्रेन के रूस से अलगाव की एक बड़ी वजह में ये भी शामिल है।
तीसरी वजह ये है कि रूस नहीं चाहता है यूक्रेन किसी भी तरह से अमेरिका के साथ जाए। इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि रूस का यूक्रेन से भावनात्मक रिश्ता है। रूस की नींव यूक्रेन की धरती से ही रखी गई थी। रूस की पहचान यूराल पर्वतश्रंख्ला भी यूक्रेन से ही होकर गुजरती है। अमेरिका और रूस के बीच का विवाद काफी लंबे समय से है। शीत युद्ध के बाद भी स्थितियां बदली नहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ रूस की शक्ति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। रूस केवल इतना ही चाहता है उसका मान कायम रहे और उसको बदनाम न किया जाए।