नई दिल्ली, । यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना ने अपने सबसे घातक हथियारों का इस्तेमाल किया है। क्रीमिया पर बने पुल पर विस्फोट के बाद रूसी सेना और आक्रामक हो गई है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने आरोप लगाया है कि रूसी सेना ने अपनी घातक मिसाइलों से सार्वजनिक संस्थानों एवं नागरिक ठिकानों को निशाना बनाया है। इस युद्ध में वैक्यूम बमों का भी प्रयोग किया गया है। अमेरिका में यूक्रेन के राजदूत ओक्साना मारकारोवा ने इसकी पुष्टि की है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या है वैक्यूम बम। कितने विनाशकारी होते हैं वैक्युम बम। वैक्यूम बमों के इस्तेमाल पर क्या है अंतरराष्ट्रीय नियम।
आखिर क्या है वैक्यूम बम
1- वैक्यूम बम दुनिया का सबसे घातक गैर परमाणु हथियार है। यह बम गुफाओं और सुरंगों में छिपे लोगों को मारने में बेहद कारगर हैं। जंग के दौरान गुप्त इलाकों में इस बम का बेहद घातक असर होता है। वर्ष 2003 में अमेरिका ने वैक्यूम बम का परीक्षण किया था। इसे मदर आफ आल बम के नाम से जाना जाता है। अमेरिका के बाद रूस ने इस बम का परीक्षण किया और इसे फादर आफ बम कहा गया। इसके साथ ही यह दुनिया का सबसे घातक गैर परमाणु हथियार बन गया।
इन बमों में लगभग 100 फीसद ईंधन होता है। यह विस्फोट के लिए हवा में आक्सीजन पर निर्भर करता है। पहले विस्फोट के बाद ईंधन सूक्ष्म रूप से बादल की तरह वायुमंडल में बिखर जाता है। इससे एक बड़ा विस्फोट होता है।
2- वैक्यूम बम एयरोसोल बम या फ्यूल बम के रूप में जाना जाता है। वैक्यूम बम थर्मोबैरिक हथियार हैं। इस हथियार को रूसी सैन्य प्रदर्शनी के हिस्से के रूप में देखा जा चुका है। इसे फ्यूल एयर विस्फोटक बम भी कहा जाता है। इसमें एक फ्यूल कंटेनर होता है। इसमें दो अलग विस्फोटक चार्ज लगे होते हैं। इसको एक राकेट या विमान से भी छोड़ा जा सकता है।
लक्ष्य पर पहुंचने से पहले यह बम पहले विस्फोट में फ्यूल कंटेनर खुलकर आसपास के क्षेत्र में फ्यूल को फैलाकर एक बादल की शक्ल दे देता है। यह बादल किसी भी इमारत में घुस सकता है, जिसे पूरी तरह सील न किया गया हो। इसके बाद दूसरे विस्फोट में इस बादल में आग लगती है, जिससे आग का एक बड़ा गोला पैदा होता है। इस बम में ब्लास्ट वेव का जन्म होता है, जो आसपास की सारी आक्सीजन सोख लेता है। इस बम से सैन्य साजो-सामान से लेकर विशेष रूप से तैयार की गईं मजबूत इमारतें भी टूट सकती है।
खतरनाक बमों को लेकर क्या है अंतरराष्ट्रीय कानून
यह एक विनाशकारी बम है, लेकिन अब तक इन बमों को इस्तेमाल न करने के लिए किसी तरह के अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं बनाए गए हैं। हालांकि, अगर कोई देश रिहाइशी इलाकों, स्कूल या अस्पतालों में इनका इस्तेमाल करता है तो इस मामले में 1899 और 1907 के हेग कन्वेन्शन के तहत युद्ध अपराध का मामला चलाया जा सकता है।
युक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थामस-ग्रीनफील्ड ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक भाषण में रूसी सेना पर इस बम के प्रयोग के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि रूसी सेना के यूक्रेन में असाधारण रूप से घातक हथियारों को ले जाते हुए देखा गया है, जो युद्ध में प्रतिबंधित हैं। इसमें क्लस्टर बम और वैक्यूम बम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह जिनेवा कन्वेंशन के तहत प्रतिबंधित हैं।
वैक्यूम बमों का कब-कब हुआ इस्तेमाल
रूस के वैक्यूम बमों का प्रयोग सीरिया युद्ध में हुआ था। दरअसल, वर्ष 2017 में बशर-अल-असद की सरकार ने इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया था। इसके बाद कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों की ओर से इसकी निंदा की गई थी। रूस ने वर्ष 1999 में चेचन्या में इसका प्रयोग किया था। इसके पूर्व दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पहली बार वैक्यूम बमों को प्रयोग किया गया था। जर्मनी सेना ने इसका इस्तेमाल किया था। अमेरिका ने इन बमों का प्रयोग वियतनाम और अफगानिस्तान में किया था। अमेरिका ने अफगानिस्तान में तोरा बोरा की पहाड़ियों में छिपे अलकायदा के आतंकवादियों के खिलाफ इसका जमकर प्रयोग किया था।
रूस ने कुल 84 क्रूज मिसाइलें दागी
क्रीमिया पुल पर धमाके के बाद रूस ने यूक्रेन पर हमले पहले से और तेज कर दिए हैं। रूस ने सोमवार को यूक्रेन पर जवाबी कार्रवाई की थी। रूस ने यूक्रेन के कई शहरों में घातक मिसाइलों और हवाई हमलों से नागरिक ठिकानों को तबाह कर दिया। यूक्रेनी सेना ने कहा कि रूस ने कुल 84 क्रूज मिसाइलें दागी हैं। इन हमलों के कारण यूक्रेन के कई शहरों में बिजली और पानी की सेवा पूरी तरह से ठप हो गई है। हवाई हमलों ने इमारतों को तबाह कर दिया है। कम से कम अब तक 14 लोगों की मौत हो गई।