नई दिल्ली । यूक्रेन और रूस के बीच 7 माह से अधिक समय से जारी जंग के जल्द रुकने की संभावना अब न के ही बराबर है। इसकी वजह है कि यूक्रेन अपने खोए हुए इलाकों को वापस लेने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। साथ ही वो रूस की फौज को अन्य इलाकों में आगे बढ़ने से रोकने के लिए भी बड़े कदम उठा रहा है। ऐसे में इस जंग के जल्द रुकने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। शुरुआत में किसी को इस बात का अंदेशा नहीं था कि ये जंग इतनी लंबी चली जाएगी। इसके पीछे एक बड़ी वजह यूक्रेन को दूसरे देशों से मिला रणनीतिक सपोर्ट भी है। ये समर्थन अब भी जारी है। इसी समर्थन को अब फ्रांस ने और आगे बढ़ा दिया था।
हथियार खरीद को बड़ी रकम
दरअसल, फ्रांस ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले हथियारों की खरीद के लिए एक बड़ी रकम देने का ऐलान किया है। ये रकम करीब 10 करोड़ यूरो की है। यूक्रेन इस रकम से हथियार खरीद सकेगा। इसके अलावा वो अपने जवानों के लिए जंग के मैदान में काम आने वाले दूसरे साजो-सामान भी इस रकम से खरीद सकेगा। ये सभी चीजें रूस के खिलाफ जंग में उसको और अधिक मजबूती देने में कामयाब होंगी। इसकी घोषणा खुद फ्रांस के राष्अ्रपति इमैन्युल मैक्रोन ने की है। मैक्रोन का कहना है कि इस जंग में फ्रांस ने यूक्रेन की हर संभव मदद की है। इस मदद को आगे भी जारी रखा जाएगा। जो फंड यूक्रेन को दिया जाएगा उससे भी उसको काफी मदद मिलेगी। उन्होंने ये बातें पैराग्वे में यूरोपीयन यूनियन समिट के दौरान कही हैं।
डेनमार्क भी देगा हथियार
यूक्रेन को मदद देने के लिए मैक्रोन ने डेनमार्क से भी बात की है। बातचीत के बाद यूक्रेन को हाई एक्यूरेसी वाले Caeser Truck mounted cannons दिए जाएंगे। इससे पहले 18 ऐसे ही ट्रकों को यूक्रेन को दिया भी जा चुका है। फ्रांस मीडिया का कहना है कि मैक्रोन चाहते हैं कि यूक्रेन फ्रांस के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग करे। फ्रांस इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। फ्रांस Caeser Truck mounted cannons सिस्टम को भी खरीदने के लिए तैयार है।
फ्रांस की हुई थी आलोचना
आपको बता दें कि इससे पहले फ्रांस की यूक्रेन को दिए गए खराब और कम क्षमता वाले मिलिट्री इक्यूपमेंट्स को लेकर काफी आलोचना हुई थी। इसके बावजूद फ्रांस के विशेषज्ञों ने इन्हें दूसरों से बेहतर बताया था। गौरतलब है कि यूक्रेन को मदद देने के मामले में फ्रांस का 11वां स्थान है। उसने अब तक यूक्रेन को 20 करोड़ यूरो से अधिक की मदद की है। इसकी तरह से ब्रिटेन ने 25 करोड़ और पौलेंड ने करीब 2 करोड़ यूरो की मदद की है।