‘रामदेव एलोपैथी डॉक्टरों पर आरोप क्यों लगा रहे हैं?’
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ओर से दायर याचिका पर चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता में पीठ ने सुनवाई की। पीठ में जस्टिस हिमा कोहली और सीटी रविकुमार भी शामिल थे। कोर्ट ने कहा, ‘बाबा रामदेव एलोपैथी डॉक्टरों पर आरोप क्यों लगा रहे हैं? उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया यह अच्छा है, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।’
एलोपैथी के खिलाफ मीडिया में रामदेव के विज्ञापन की जानकारी होने पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘इसकी क्या गारंटी है कि आयुर्वेद सभी बीमारियों को ठीक कर देगा।’ मुख्य न्यायाधीश ने रामदेव की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘रामदेव डॉक्टरों पर आरोप लगा रहे हैं, जैसे कि वे “हत्यारे” थे।’ आईएमए के वकील ने उन विज्ञापनों की ओर इशारा किया, जिनमें रामदेव ने एलोपैथी के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए थे।
कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है। केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को अदालत ने पतंजलि द्वारा भ्रामक विज्ञापनों पर निर्देश लेने को कहा है। पीठ ने सरकार से पूछा कि रामदेव और पतंजलि मीडिया में विज्ञापनों के माध्यम से कैसे आरोप लगा सकते हैं कि एलोपैथिक डॉक्टर हत्यारे हैं? पीठ ने कहा, ‘यह क्या है? बेहतर होगा कि केंद्र ऐसे प्रचार को रोके।’
बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी बाबा रामदेव को नसीहत दी थी। कोर्ट ने कहा था कि रामदेव आयुर्वेद का सम्मान बनाए रखें, लेकिन एलोपैथी के खिलाफ बयान देकर जनता को गुमराह नहीं किया जाना चाहिए।