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SC बोला-टीवी डिबेट से हो रहा ज्यादा प्रदूषण,


चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि प्रत्येक का अपना एजेंडा होता है और इन बहसों में बयानों को संदर्भ से बाहर कर दिया जाता है। पीठ ने कहा कि आप (वादकारियों) किसी मुद्दे का इस्तेमाल करना चाहते हैं, हमसे टिप्प्णी कराना चाहते हैं और फिर उसे विवादास्पद बनाते हैं, इसके बाद सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप ही होता है…।” पीठ ने कहा कि टेलीविजन डिबेट से किसी भी दूसरी चीज से कहीं अधिक प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है। उन्हें समझ में नहीं आता कि क्या हो रहा है और क्या मुद्दा है। बयानों का संदर्भ से बाहर इस्तेमाल किया जाता है। हर किसी का अपना एजेंडा होता है। हम कोई मदद नहीं कर सकते और हम इसे नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। हम समाधान निकालने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की। शीर्ष अदालत ने यह मौखिक टिप्पणी दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर की जिसमें कहा गया था कि पराली जलाना वायु प्रदूषण के कारकों में से एक है, जिसका समाधान करने की जरूरत है। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र के आंकड़ों को संदर्भित किया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने टेलीविजन पर परिचर्चाओं का उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने दावा किया कि उन्होंने (मेहता) वायु प्रदूषण में पराली जलाने के योगदान पर शीर्ष अदालत को गुमराह किया था। मेहता ने कहा कि मैंने अपने खिलाफ टीवी मीडिया पर कुछ गैर-जिम्मेदार और अप्रिय बयान देखे कि मैंने यह दिखाकर पराली जलाने के सवाल पर अदालत को गुमराह किया कि इसका योगदान केवल 4 से 7 प्रतिशत है। मुझे स्पष्ट करने दीजिये।”