नई दिल्ली, । कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को केन्द्रीय बजट 2023-24 की आलोचना करते हुए कहा कि यह गरीब-विरोध बजट है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट 2023-24 मोदी सरकार द्वारा गरीबों पर एक “साइलेंट स्ट्राइक” है और यूपीए के दौरान बनाई गई सामाजिक योजनाओं के खर्च में मोदी सरकार ने कटौती की है। सोनिया गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम और उनके मंत्री ‘विश्व गुरु’ और ‘अमृत काल’ का जाप कर रहे हैं, जबकि उनके करीबी और पसंदीदा व्यापारी लगातार वित्तिय घोटाले कर रहे हैं।
‘देश में बढ़ रही बेरोजगारी’
सोनिया गांधी ने कहा, “गरीब और मध्यम वर्ग के नाम पर अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने की प्रधानमंत्री की नीति ने देश को बर्बाद कर दिया है और अब भी बर्बादी की ओर ले जा रहा है।” उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, “विनाशकारी निजीकरण ने अमूल्य राष्ट्रीय संपत्ति को चुनिंदा निजी हाथों में सस्ते में सौंप दिया है, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है और इससे सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के युवा प्रभावित हुए हैं। कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि अडानी समूह के शेयरों में गिरावट एक घोटाला है जिसमें आम लोगों का पैसा शामिल है क्योंकि उन्होंने एलआईसी और एसबीआई में निवेश किया है।
‘सभी भारतीय मिलाएं हाथ’
सोनिया गांधी ने अपने लेख में कहा कि अब यह समान विचारधारा वाले भारतीयों का कर्तव्य है कि वे हाथ मिलाएं, इस सरकार के हानिकारक कार्यों का विरोध करें और साथ में उस बदलाव का निर्माण करें जिसे लोग देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “हाल ही में समाप्त हुई भारत जोड़ो यात्रा में, कांग्रेस समर्थकों ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल यात्रा की और सभी क्षेत्रों से लाखों भारतीयों के साथ बातचीत की। उनसे बातचीत के दौरान पता लगा कि उन सभी को गहरी आर्थिक संकट और भारत जिस दिशा में बढ़ रहा है उसको लेकर चिंता है।”
‘गरीबों और कमजोर वर्ग के लिए विफल रहा बजट 2023’
कांग्रेस संसदीय दल के अध्यक्ष ने कहा, “2023-24 का बजट न केवल महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने में विफल रहा है बल्कि गरीबों और कमजोरों की स्थिति को और भी खराब बनाने वाला है।” पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “यह मोदी सरकार द्वारा गरीबों पर किया गया मौन प्रहार है।” सोनिया गांधी ने कहा कि स्वतंत्रता का वादा प्रत्येक भारतीय के लिए एक अच्छे जीवन का था। यह न केवल उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से खुद को सशक्त बनाने के समान अवसर प्राप्त करने के लिए।
‘ स्वस्थ और शिक्षित आबादी समृद्धि की नींव’
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि ग्रामीण मजदूरों के पास काम कम होगा क्योंकि मनरेगा के लिए धन एक-तिहाई कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा, “हमारे स्कूलों में संसाधनों की कमी हो जाएगी और बच्चों को कम पौष्टिक भोजन मिलेगा, क्योंकि इस साल स्कूलों के लिए फंडिंग काफी कम रह गई है।” उन्होंने कहा, “इतिहास हमें सिखाता है कि एक स्वस्थ और शिक्षित आबादी समृद्धि की नींव है। सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य में कटौती आज गरीब को चोट पहुंचाती है और कल देश की प्रगति को रोकती है।”