लखनऊ, । अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी डा रजनीश सिंह की आगरा के ताजमहल के वर्षों से बंद पड़े 20 कमरों को खुलवाने की मांग की याचिका पर आज सुनवाई होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पहले तो इस याचिका पर सुनवाई से ही इन्कार कर दिया था, लेकिन याचिकाकर्ता के आग्रह पर दो बजे से सुनवाई होगी। लखनऊ खंडपीठ ने आज ही इस मामल के पटाक्षेप का संकेत दे दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में ताजमहल के 20 कमरों को खुलवाने को लेकर दाखिल अयोध्या के डा रजनीश सिंह की याचिका पर सवा दो बजे सुनवाई होगी। न्यायालय ने मामले में दोनों पक्षों को अपने अपने केस के समर्थन में नजीरें पेश करने को कहा है। सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल एसबी पाण्डेय ने क्षेत्राधिकार के मामले के साथ याचिका के जनहित याचिका के तौर पर ना दाखिल करने की पोषणीयता पर सवाल उठाए। वहीं न्यायालय ने भी बहस के दौरान याची के अधिवक्ता से पूछा कि जो प्रश्न इस याचिका में उठाया गया है, वह हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 में कैसे तय कर सकती है। हाई कोर्ट इस याचिका को खारिज करने पर विचार कर रहा था, लेकिन याचिकाकर्ता के आग्रह पर दोपहर 2.15 बजे उसे सुनने का फैसला किया है। कोर्ट ने साफ कहा कि जनहित याचिका की प्रणाली का दुरुपयोग ना करें। आप अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए किसी विश्वविद्यालय में अपना नामांकन कराएं, यदि कोई विश्वविद्यालय आपको ऐसे विषय पर शोध करने से मना करता है तो हमारे पास आएं।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकारा : न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय ने कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील को जमकर फटकारा। उन्होंने कहा कि पीआइएल व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। जाकर रिचर्स करो कि ताजमहल किसने बनवाया। किसी यूनिवर्सिटी जाओ, वहां पर ताजमहल पर पीएचडी करो। उसके बाद कोर्ट आना। अगर कोई ताजमहल पर रिसर्च करने से रोके तक तब हमारे पास आना। उन्होंने कहा कि कल को आप यहां पर आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चेंबर में जाना है। इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा।