अंबाला। पंजाब के सरहिंद और साधूगढ़ के बीच बड़ा रेल हादसा मानवीय भूल की ओर संकेत कर रहा है। डेडिकेटिड रेल फ्रंट कॉरिडोर (डीएफसी) पर कोयले से लोड मालगाड़ी रेड सिग्नल पार कर गई, जिसके चार सौ मीटर बाद ही हादसा हो गया। गनीमत रही कि सवारी गाड़ी का इंजन टकराने के बावजूद बड़ा हादसा टल गया। स्पेशल मालगाड़ियों के लिए बिछाई गई रेल लाइन पर यह देश में इस तरह का पहला रेल हादसा है।
रेल मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लेकर जांच कमिश्नर रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) दिनेश चंद देसवाल करेंगे। मंगलवार को सीआरएस अंबाला आएंगे व घटनास्थल का मुआयना कर इस हादसे से जुड़े सभी कर्मचारियों से पूछताछ की जाएगी। सीआरएस डीआरएम अंबाला कार्यालय में भी जांच कर सकते हैं।
बता दें कि लुधियाना से कोलकाता तक डीएफसी के तहत रेल लाइन बिछाई गई है। इस लाइन पर सिर्फ मालगाड़ियां ही दौड़ाई जा रही हैं। सवारी गाड़ियों की स्पीड बढ़ाने, कारोबारियों का माल समय पर पहुंचाने और सवारी गाड़ियों के लिए विकल्प खोलने को यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत हाल ही में शुरू होने के बाद दो शिफ्टों में मालगाड़ियां दौड़ने लग गई हैं। रेल पटरी, आपरेशन, ओएचई, यह सारा कार्य डीएफसी के अलग कंट्रोल से किया जा रहा है, जबकि चालक और लोको पायलट वे डिविजन के होते हैं। कोयले से लोडेडे मालगाड़ी को लेकर आ रहे थे, उसके लोको पायलट अंबाला मंडल के बताये जा रहे हैं।
सीआरएस जांच के बाद होगा खुलासा
सूत्रों का कहना है कि 60 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाई जा सकती है। लेकिन जब हादसा हुआ, तो स्पीड करीब 40 किमी प्रतिघंटा के आसपास पाई गई है। प्रारंभिक जांच में रेल ट्रैक और आपरेशन ठीक माना गया है, लेकिन चालक ने रेड सिग्नल होने के बावजूद आगे क्यों दौड़ाया इस तथ्य का खुलासा सीआरएस की जांच के बाद होगा। लोको पायलट घायल होने के कारण अभी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाई। मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) मंदीप सिंह भाटिया, डीएफसी के एमडी आरके जैन, पंकज गुप्ता चीफ जनरल मैनेजर, सीनियर डीसीएम नवीन कुमार झा तड़के ही घटनास्थल पर पहुंच गए।
पहला फोकस रेलवे ट्रैक को सुचारू करने का रखा। एक ओर अफसरों की टीम ने जांच की और एक ज्वाइंट नोट भी तैयार किया। हालांकि सीआरएस की जांच मार्क होने के बाद ज्वाइंट नोट में क्या तथ्य सामने आए हैं, इसको लेकर मंडल अधिकारी कुछ भी बताने से बच रहे हैं। उनका तर्क है कि सीआरएस जांच के बार ही सब कुछ स्पष्ट होगा। डीआरएम मंदीप सिंह भाटिया ने बताया कि मामले की जांच सीआरएस करेंगे। फोकस ट्रैक सुचारु करने का रहा। दोनों ट्रैक पर गाड़ियां चल रही हैं।
इस तरह होगी सीआरएस जांच
सीआरएस की जांच में सिर्फ रेल कर्मी या अधिकारी नहीं बल्कि इस घटना से जुड़ा कोई भी व्यक्ति अपनी बात रख सकता है। सीआरएस डीएफसी से जुड़े ऑपरेटिंग, लोको पायलट, सहायक लोको पायलट, मालगाड़ी कितनी लोड थी, स्पीड क्या थी हादसे के दौरान, रेड सिगनल पार करने से पहले लोको पायलट की कोई और लापरवाही तो नहीं हुई, ऐसे तमाम बिंदुओं पर सीआरएस जांच करेंगे। सूत्रों का कहना है कि रेलवे इस हादसे को लेकर सार्वजिनक सूचना जारी कर सकता है कि इस हादसे का कोई चश्मदीद गवाह है तो वह सीआरएस की जांच में बयान दे सकता है।
यह स्टेशन हैं इस रूट पर
डीएफसी के इस रूट पर चौदह स्टेशन हैं, जिको न्यू के नाम से जाना जाता है। इसके तहत पिलखनी, कलानौर, जगाधरी वर्कशाप, दराजपुर, बराड़ा, केसरी, दुखेड़ी, अम्बाला सिटी, शंभू, सराय बंजारा, सरहिंद, मंडी गोबिंदगढ़, खन्ना और चावापल्ली में स्टेशन शामिल हैं।