नई दिल्ली । न्यूयार्क में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के 77वें सत्र की महासभा में शनिवार को दिन बेहद खास हो गया है। खास इसलिए क्योंकि आज कुछ खास देश इस असेंबली को संबोधित करने वाले हैं। इनके संबोधन पर जिस देश की सबसे अधिक निगाह रहने वाली है वो है अमेरिका। दरअसल, शुक्रवार को इस महासभा का अंतिम दिन भी है। अंतिम दिन में जिन देशों को अपना भाषण देना है उनमें चीन, उसका घुर विरोधी वियतनाम और अमेरिका का घुर विरोधी रूस का नाम शामिल है। आज चीन 10वें नंबर पर और वियतनाम 11वें नंबर पर भाषण देगा, जबकि रूस का 15वां नंबर है।
अमेरिका की रहेगी नजर
यूएनजीए के 77वें सत्र में इन तीनों के भाषणों पर अमेरिका की नजर लगी रहेगी। वियतनाम अमेरिका का सहयोगी भी है और बीते कुछ वर्षों में दोनों ही देश काफी करीब भी आए हैं। वहीं वियतनाम और चीन के बीच लंबे समय से कड़वाहट मौजूद है जो हाल के कुछ दिनों में काफी बढ़ गई है। वियतनाम और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर विवाद है। दक्षिण चीन सागर पर अन्य देश भी अपना दावा ठोकते हैं। हालांकि चीन की दादागिरी के आगे अन्य देशों की कुछ नहीं चलती है।
चीन-वियतनाम विवाद
चीन-वियतनाम का विवाद काफी पुराना है। चीन के मुकाबले वियतनाम काफी छोटा और पिछड़ा हुआ है। इसलिए दक्षिण चीन सागर पर उसके दावे की दाल चीन नहीं गलने देता है। चीन-ताइवान विवाद के बीच जब वियतनाम ने ड्रैगन की लाइव फायर ड्रिल पर बयान दिया था तो उस पर चीन ने कड़ा रुख अपनाया था। इस लाइव फायर ड्रिलकी वजह जापान को भी काफी परेशानी हुई थी। उसको अपने विमानों का मार्ग तक बदलना पड़ा था, जिसकी वजह से उसने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। इस पर जापान ने कड़ी आपत्ति भी दर्ज कराई थी।
वियतनात का रुख होगा स्पष्ट
वियतनाम की तरफ से यूएनजीए में वहां के उप प्रधानमंत्री Pham Binh Minh अपना भाषण देंगे। उनके भाषण में जाहिर तौर पर चीन के आक्रामक रुख और वियतनाम का जवाब शामिल होगा। वहीं चीन की बात करें तो चीन अमेरिका को वियतनाम के नाम पर दिखाई गई रहम दिली का करारा जवाब जरूर देगा।
अमेरिका को जवाब देगा चीन
चीन की तरफ से वहां के विदेश मंत्री Wang Yi इस जिम्मेदारी को निभाएंगे। चीन का दिया भाषण भारत के लिए भी काफी अहम हो सकता है। इसलिए उनके इस भाषण पर भारत की भी नजर रहेगी। बीते कुछ समय में चीन के अमेरिका से संबंध काफी खराब हुए हैं और वो रूस के काफी करीब पहुंच गया है। चीन की तरफ से दिए जाने वाले भाषण में ताइवान को लेकर अमेरिका को सीधी चेतावनी और धमकी भी दी जा सकती है।
रूस का अमेरिका के प्रति दिखाई देगा कड़ा रुख
अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े विरोधी रूस की तरफ से अपना पक्ष रखने वहां के विदेश मंत्री Sergey Lavrov रखेंगे। अमेरिका और रूस के बीच यूं तो काफी लंबे समय से टकराव है, लेकिन रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद ये टकराव काफी बढ़ गया है। इस युद्ध के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस के ऊपर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों का असर भी अब दिखाई देने लगा है। रूस पर जहां इसका असर साफ दिखाई दे रहा है वहीं यूरोप भी इससे अछूता नहीं है। रूस की गैस के बिना यूरोप की अर्थव्यवस्था का पहिया रुक सा गया है। आज के अपने भाषण में रूस न सिर्फ अमेरिका को करारा जवाब देगा बल्कि पश्चिमी देशों को भी अपने निशाना बनाएगा।