लखनऊ । ‘मोदी हैं तो मुमकिन है, योगी हैं तो यकीन है…।’ अपने प्रयासों को फिर से मुमकिन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश को जमकर मथा है तो खुद पार्टी के विश्वास पर खरा उतरने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिश्रम की बड़ी लकीर खींच दी है। यूं तो पांच वर्ष तक योगी प्रदेशभर का दौरा करते रहे, लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का नामांकन शुरू होते ही स्टार प्रचारक के रूप में निकले मुख्यमंत्री ने खुद को ‘कर्मयोगी’ साबित करते हुए मात्र 39 दिनों में 179 चुनावी कार्यक्रम कर डाले, जिसमें जनसभाएं और रोड शो सब शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने 82 कार्यक्रम किए। वह भी कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा ने 26 कार्यक्रम किए और संगठन का नेतृत्व कर रहे प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने 69 कार्यक्रमों से पार्टी प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार किया।
दरअसल, भाजपा यह चुनाव योगी के चेहरे पर ही लड़ रही है। पार्टी को विश्वास है कि उनकी बेदाग छवि और सख्त तेवर इस चुनावी संघर्ष को आसान करने में मददगार साबित होंगे। यही वजह है कि निस्संकोच भाव से खुर प्रधानमंत्री ने ‘यूपी के लिए योगी हैं उप-योगी’ जैसा प्रोत्साहित करने वाला नारा दिया। ‘आएंगे तो योगी ही’ जैसा नारा भी बताता है कि शीर्ष नेतृत्व का भी भरोसा जीतने में वह कितने सफल रहे हैं। हालांकि, भाजपा के लिए ‘मैजिक मैन’ साबित होते रहे पीएम मोदी ने अपनी उपयोगिता और भूमिका को भी अच्छे से समझा। यही वजह है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव और तमाम वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने उस यूपी से नजर नहीं हटाई, जिसके लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से वह सांसद हैं।
21 जनवरी, 2022 को विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का नामांकन शुरू हुआ। इसके साथ ही भाजपा का चुनाव प्रचार अभियान भी जोर पकड़ गया। प्रधानमंत्री ने 28 फरवरी तक पार्टी के लिए 22 कार्यक्रम किए। इसमें जनसभाएं और रोड शामिल रहे। चूंकि, उनकी हर सभा कई विधानसभा क्षेत्रों के लिए संयुक्त रूप से होती है, इसलिए बड़े क्षेत्र से वह जुड़े। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी जिम्मेदारियां निभाते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह ने भी देश के सबसे बड़े राज्य यूपी के लिए अपनी बड़ी जिम्मेदारी को समझा। नड्डा ने 39 तो शाह ने 53 कार्यक्रम किए। वहीं, सबसे अधिक पसीना बहाया योगी ने। वोट उनके पांच वर्ष के शासन, उनकी नीतियों पर पड़ना है, इसलिए मतदाता का सबसे अधिक सामना भी उन्होंने ही किया।
पार्टी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 21 जनवरी से 28 फरवरी तक मात्र 39 दिनों में सीएम योगी ने कुल 179 चुनाव प्रचार कार्यक्रम किए। ज्यादातर इनमें जनसभाएं ही थीं। यह भी तब है, जबकि वह खुद गोरखपुर शहर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, जिस पर तीन मार्च को मतदान होने जा रहा है।