माना यही जा रहा है कि निर्णय जातीय समीकरणों की बुनाई में फंसा हुआ है। मंथन चल रहा है कि ब्राह्मण, दलित और पिछड़े में किस वर्ग से अध्यक्ष बनाया जाए। इस बीच बुधवार को पिछड़ा वर्ग से जाट नेता के रूप में पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र चौधरी का नाम अचानक सुर्खियों में आ गया।
विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को योगी सरकार 2.0 में जलशक्ति मंत्री बना दिया गया। एक तो स्वतंत्रदेव का कार्यकाल पूरा हो गया और दूसरा पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत होने के नाते भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जानी है।
चूंकि, 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं और उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटें हैं, इसलिए पार्टी इस राज्य में अध्यक्ष की तैनाती को लेकर भी गहन मंथन कर रही है। स्पष्ट है कि प्रदेश अध्यक्ष से जातीय समीकरण भी साधने के प्रयास होंगे।
पिछले कुछ समय के निर्णयों को देखें तो लोकसभा चुनाव ब्राह्मण और विधानसभा चुनाव पिछड़ा वर्ग से बनाए गए अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ा जाता रहा है। मसलन, 2014 लोकसभा चुनाव में लक्ष्मीकांत वाजपेयी, 2017 के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य, 2019 के लोकसभा चुनाव में डा. महेंद्रनाथ पांडेय और 2022 के विधानसभा चुनाव में स्वतंत्रदेव सिंह ने संगठन की बागडोर संभाली।
इस लिहाज से ब्राह्मण वर्ग की प्रबल दावेदारी मानी जा रही है और इस वर्ग से पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक, अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम के नाम चर्चा में हैं। पार्टी के ही कुछ नेता तर्क देते हैं कि बसपा से छिटककर दलित वोटर ने भाजपा का रुख किया है।
विधानसभा चुनाव में इसका असर दिखा है, इसलिए 19 प्रतिशत दलित वोटबैंक को अपने पाले में रखने के लिए भाजपा दलित को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का प्रयोग कर सकती है। संभावित नाम प्रदेश महामंत्री विद्यासागर सोनकर, इटावा सांसद डा. रामशंकर कठेरिया, सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय सचिव विनोद सोनकर और अनुसूचित जनजाति से एमएलसी लक्ष्मण आचार्य हैं।
इसी तरह कुछ लोगों का मानना है कि प्रदेश में सबसे अधिक आबादी पिछड़ा वर्ग की है। चूंकि, सपा ने विधानसभा चुनाव में भी ओबीसी कार्ड चला था, इसलिए वह फिर से इस ताकत को जुटाना चाहेगी, इसलिए उसे विफल करने के लिए भाजपा पिछड़ा वर्ग से अध्यक्ष बना सकती है।
इस वर्ग से वर्तमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम चर्चाओं में है कि उन्हें दोबारा संगठन की बागडोर सौंपी जा सकती है तो अटकलें स्वतंत्रदेव सिंह का कार्यकाल बढ़ाए जाने की भी हैं। इधर, नवनियुक्त प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने मंगलवार को कार्यभार संभाल लिया। उसके बाद से चर्चा तेज हो गई कि बुधवार या गुरुवार को नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो जाएगी।
इसी बीच इंटरनेट मीडिया पर बुधवार को वायरल हो गया कि आजमगढ़ प्रवास पर पहुंचे योगी सरकार के मंत्री भूपेंद्र चौधरी को अचानक दिल्ली बुला लिया गया है। वह अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। इसके पीछे दलील है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद सांसद हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहक्षेत्र गोरखपुर इसी अंचल में है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी पूर्वी उत्तर प्रदेश से हैं। ऐसे में पश्चिम को साधने के साथ ही सपा-रालोद के गठजोड़ वाली जाट सियासत को बेअसर करने के लिए पार्टी जाट को प्रदेश संगठन का सिरमौर बना सकती है।