हालांकि प्रदेश सरकार के बजट में अपने पांवों पर खड़े होने के गंभीर प्रयासों का अभाव दिखाई दिया, लेकिन केंद्रीय सहायता के भरपूर उपयोग की इच्छाशक्ति अवश्य परिलक्षित हो रही है। विपक्ष का यह कहना काफी हद तक ठीक है कि केंद्र की सहायता का लाभ उठाना राज्य हित में है, लेकिन केंद्र पर इस सीमा तक निर्भरता राज्य हित में नहीं। राज्य में औद्योगिक विकास एवं प्राकृतिक संसाधनों के संतुलित उपयोग के लिए अतिरिक्त प्रयास आवश्यक हैं। अर्थशास्त्रियों का भी यह सोचना है कि वर्तमान में केंद्र एवं प्रदेश में एक ही दल की सरकारें हैं और उत्तराखंड डबल इंजन का लाभ लेने की स्थिति में है, लेकिन इस स्थिति में खुद के पांवों पर खड़ा होने के प्रयत्नों को छोड़ा नहीं जाना चाहिए। 21 साल बाद भी यदि उत्तराखंड अपने संसाधन पैदा करना एवं वर्तमान संसाधनों का भरपूर उपयोग करना नहीं सीखा तो यह राज्य की आर्थिकी के लिए ठीक नहीं है।