एजेंसी ने कहा कि 27 अप्रैल तक, जीआईएसएआईडी में करीब 1,200 अनुक्रमों (सीक्वेंस) को अपलोड किया गया और वंशावली बी.1.617 को कम से कम 17 देशों में मिलने वाला बताया. जीआईएसएआईडी 2008 में स्थापित वैश्विक विज्ञान पहल और प्राथमिक स्रोत है जो इंफ्लुएंजा विषाणुओं और कोविड-19 वैश्विक माहामारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस के जीनोम डेटा तक खुली पहुंच उपलब्ध कराता है. एजेंसी ने कहा कि पैंगो वंशावली बी.1.617 के भीतर सार्स-सीओवी-2 के उभरते प्रकारों की हाल में भारत से एक वीओआई के तौर पर जानकारी मिली थी और डब्ल्यूएचओ ने इसे हाल ही में वीओआई के तौर पर निर्दिष्ट किया है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अध्ययनों ने इस बात पर जोर दिया है कि दूसरी लहर का प्रसार भारत में पहली लहर के प्रसार की तुलना में बहुत तेज है.
जेनेवा. कोरोना वायरस की इंडियन वेरिएंट (Indian Strain) दुनिया के दूसरे देशों में भी फैलने लगा है. अब तक करीब 17 देशों में इसके पाए जाने की पुष्टि हो चुकी है. यह कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन का. डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक पूरी दुनिया में बीते हफ्ते में कोरोना संक्रमण के 57 लाख मामले सामने आ चुके हैं. इस बीच कोरोना वायरस का ‘भारतीय प्रकार’ जिसे बी.1.617 के नाम से या ‘दो बार रूप परिवर्तित कर चुके प्रकार’ के तौर पर जाना जाता है, वह कम से कम 17 देशों में पाया गया है. संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने मंगलवार को अपने साप्ताहिक माहामारी संबंधी जानकारी में कहा कि सार्स-सीओवी-2 के बी.1.617 प्रकार या ‘भारतीय प्रकार’ को भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का कारण माना जा रहा है, जिसे डब्ल्यूएचओ ने रुचि के प्रकार (वैरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट-वीओआई) के तौर पर निर्दिष्ट किया है.