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WTO Ministerial Conference: कृषि निर्यात में भारत की बढ़ती पैठ देखकर लामबंद हुए विकसित देश


 जेनेवा। कृषि निर्यात के क्षेत्र में भारत की बढ़ती पैठ विकसित देशों को नागवार गुजर रही है। उन्हें इस बात का भय सता रहा है कि इससे वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न की सप्लाई बढ़ जाएगी और कुछ चंद देशों की कंपनियां मनमानी तरीके से खाद्यान्न की कीमत नहीं वसूल पाएंगी। यही वजह है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत की तरफ से गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट स्तर पर खाद्यान्न निर्यात की इजाजत देने पर रजामंदी नहीं हो सकी। भारत ने सरकारी भंडारण से गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट निर्यात करने की इजाजत देने का प्रस्ताव रखा था।

ब्ल्यूटीओ की बैठक में हिस्सा लेने आए विशेषज्ञों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादों के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है जो खाद्यान्न के कारोबार में भारी मुनाफा कमाने वाले देशों की कंपनियों को खटक रहा है। पिछले तीन-चार सालों में भारत के चावल, चीनी और गेहूं जैसे खाद्य पदाथरें के निर्यात में भारी बढ़ोतरी हुई है। संयुक्त राष्ट्र के कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018-19 में वैश्विक चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत थी जो वित्त वर्ष 21-22 में 40 प्रतिशत हो गई। वित्त वर्ष 2019-20 में वैश्विक गेहूं निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.3 प्रतिशत थी जो पिछले वित्त वर्ष में पांच प्रतिशत तक पहुंच गई।