काबुल गुरुवार को उत्तरी अफगानिस्तान में हिंदू कुश क्षेत्र में 5.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे राजधानी काबुल सहित देश के कुछ हिस्सों में जोरदार झटका लगा। इस बात की जानकारी कुछ अधिकारियों ने दी।
जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज के मुताबिक भूकंप की गहराई 189 किमी (117 मील) थी। इस्लामाबाद, पश्चिमोत्तर पाकिस्तान के कुछ हिस्सों और नई दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में भी दूर तक झटके महसूस किए गए। प्रांतीय अधिकारी महजुद्दन अहमदी ने रॉयटर्स को बताया कि बदख्शां के उत्तरी प्रांत में उपरिकेंद्र के करीब झटके बहुत तेज थे।
बदख्शां के फैजाबाद शहर के 28 वर्षीय अशरफ नेल ने कहा कि यह बहुत मजबूत था। शुरुआत में तो हम नहीं निकले, लेकिन बाद में जब झटके तेज हो गए तो हमनें कमरा छोड़ दिया। यह करीब 30-40 सेकंड तक चला।
हालांकि किसी के हताहत होने की तत्काल कोई खबर नहीं है। पिछले साल, पूर्वी अफगानिस्तान में 6.1 तीव्रता के भूकंप ने तबाही मचाई थी, जिसमें 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे।
इन इलाकों में आया भूकंप
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने दावा किया कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.8 दर्ज की गई। एनएसएमसी ने कहा कि गिलगित, झेलम, चकवाल, पाकपट्टन, लक्की मारवात, नौशेरा, स्वात, मलाकंद और देश के अन्य इलाकों में झटके महसूस किए गए।
वहीं, पाकिस्तान के पेशावर, लोअर दीर, चित्राल, खैबर जिला, वजीरिस्तान, टैंक, बाजौर, मर्दन, पाराचिनार, मुरी, मनसेहरा, एबटाबाद, मुल्तान, शेखूपुरा, चिन्योट और कोटली में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
भारत के कई हिस्सों में महसूस किए गए भूकंप के झटके
यह भूकंप इतना तेज था कि इसका असर जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, ताजिकिस्तान और पाकिस्तान में भी दिखाई दिया। बता दें कि इससे पहले 1 जनवरी को भारत के उत्तरी हिस्से में भूकंप आया था। एनसीएस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 3.8 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था। इस भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर में था और इसकी गहराई 5 किमी थी।
पहले भी भूकंप ने अफगानिस्तान में मचाई थी तबाही
इस भूकंप की वजह से अफगानिस्तान और भारत में कोई जान-माल की हानि नहीं हुई है। हालांकि, अफगानिस्तान में पिछले साल आए भूकंप ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली थी। पिछले साल जुलाई में 5.9 तीव्रता के भूकंप के कारण 1000 अफगानियों ने अपनी जान गवा दी थी। अंतरराष्ट्रीय आपात कम्युनिटी के मुताबिक, उस वक्त हजारों लोग घायल हुए थे और करीब 1800 घर तहस-नहस हो गए थे।