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अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुका भारत,


  • नई दिल्‍ली,  रूसी मिसाइल S-400 मिसाइल सिस्‍टम की भारत आने की खबर के साथ एक बार फ‍िर नई दिल्‍ली और मास्‍को के बीच संबंधों को एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि भारत अपने पारंपरिक सैन्‍य आपूर्तिकर्ता मित्र राष्‍ट्रों के साथ संबंधों को एक नई दिशा दे रहा है। पिछले एक दशक में भारत ने अमेरिका, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों के साथ अपने सैन्‍य संबंधों को मजबूत किया है। ऐसे में अमेरिका के तमाम विरोध और धमकी के बावजूद भारत ने रूसी एस 400 मिसाइल की खरीद पर रोक नहीं लगाई। ऐसे में यह संदेश जाता है कि भारत-रूस संबंधों में वह किसी हस्‍तक्षेप के आगे झुकने वाला नहीं है। आखिर भारत और रूस के बीच कितने गहरे हैं संबंध ? क्‍या अमेरिकी दबाव के चलते भारत और रूस के संबंध प्रभावित होंगे ? भारत और रूस के संबंधों का अमेरिका पर क्‍या होगा असर ? इन तमाम अनछुए पहलुओं पर प्रोफेसर हर्ष वी पंत (आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में निदेशक, अध्ययन और सामरिक अध्ययन कार्यक्रम के प्रमुख) की क्‍या है राय। 

रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा को आप किस रूप में देखते हैं ?

बिल्‍कुल, राष्‍ट्रपति पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब चीन और भारत के बीच सीमा विवाद चरम पर है। चीन की चिंता किए बगैर पुतिन भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। खासकर तब जब अमेरिका के खिलाफ रूस और चीन एक दूसरे के निकट आए हैं। उधर, रूसी मिसाइल सिस्‍टम को लेकर अमेरिका ने भारत के खिलाफ अब तक सख्‍त रूख अपना रखा है। शीत युद्ध के बाद से अमेरिका और भारत एक दूसरे के करीब आए हैं। क्‍वाड के गठन के बाद सामरिक रूप से अमेरिका और भारत एक दूसरे के निकट आए है। इन सब अंतरराष्‍ट्रीय परिदृश्‍य में पुतिन की भारतीय यात्रा बेहद अहम है।