Latest News राष्ट्रीय सम्पादकीय साप्ताहिक

अर्थ आवर 2022: अपनी अगली पीढ़ी के लिए पानी बचाएं, इन प्रयासों से बढ़ी उम्मीद


दीपांकर बसु। धरती पर जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व जल है। हमारे शरीर का 70 फीसदी हिस्सा भी पानी। हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि पृथ्वी पर मौजूद जल में से केवल 3% ही मीठा पानी है जो पीने लायक है। बाकी महासागरों का खारा पानी है। यही कारण है कि मानव जाति के अस्तित्व के लिए मीठे पानी का संरक्षण बेहद जरूरी है।

भारत में पूरी दुनिया की 16 फीसदी आबादी रहती है। जबकि भारत में पूरी दुनिया में मौजूद मीठे पाने के संसाधनों में से सिर्फ 4 फीसदी हीहै। ऐसे में पीने के पानी का बेहतर प्रबंधन और संरक्षण एक आंदोलन की तरह किया जाना जरूरी है। भारत की सबसे सम्मानित कंपनियों में से एक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजीव मेहता के मुताबिक, हमारी पानी की मौजूदा खपत पैटर्न को देखते हुए यह संभव है कि 2030 तक हमारे पास जरूरत का सिर्फ आधा पानी ही बचा हो। ऐसे में यह स्थिति गंभीर है। यह खुशी की बात है कि भारत में पीने योग्य पानी के प्रबंधन और संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं। इससे काफी उम्मीद बनती है कि हम भविष्य में अपनी पानी की जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकेंगे।

 

ये काफी चिंता की बात है कि पीने के पानी की आपूर्ति के लिए सालों से जमीन से लगातार पानी निकाला जा रहा है। इसके चलते भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। । भारत घरेलू, औद्योगिक जरूरतों और सिंचाई के लिए दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। भारत में कुल वार्षिक भूजल निकासी लगभग 245 बिलियन क्यूबिक मीटर (सीबीएम) है, जिसमें से लगभग 90 प्रतिशत सिंचाई की खपत होती है।

पिछले कुछ सालों में भारत में भूजल का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। तेजी से हो रहे शहरीकरण और बहु-मंजिला इमारतों के निर्माण के साथ ही बड़े पैमाने पर किसान भी जमीन से अत्यधिक पानी निकाल रहे हैं। इससे जल स्तर और तेजी से नीचे गया है। भूजल हमारे लिए पीने के पानी का एक महत्वपूर्ण श्रोत है। इसका लापरवाही से इस्तेमाल आने वाले समय में हमारी मुश्किलों को बढ़ा सकता है।