- रमन गंगाखेडकर ने कहा कि चूंकि डेल्टा वैरिएंट बहुत फैला और इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न के रूप में देखा जाता है इसलिए आपको डेल्टा प्लस वैरिएंट को भी इसी तरह से देखना होगा.
नई दिल्ली: देश में कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट चिंता का विषय बना हुआ है. अब तक भारत में इसके 51 मामलों की पुष्टि हुई है. इस बीच आईसीएमआर के पूर्व प्रमुख्य वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने कहा कि डेल्टा बहुत फैसला और ये वैरिएंट चिंता का विषय है. चूंकि ये वैरिएंट चिंता का विषय है, आपको डेल्टा प्लस को भी चिंतित करने वाला वैरिएंट मानना होगा.
इसके साथ ही उन्होंने कहा, “जब मैंने कहा कि डेल्टा वैरिएंट सेल से सेल ट्रांसफर के लिए जा सकता है, तो अंगों को नुकसान के संदर्भ में इसका क्या मतलब है? अगर दिमाग में चला गया तो क्या होगा? इसके स्नायविक लक्षण (न्यूरोलॉजिकल सिमटम्स) उत्पन्न करने की अधिक संभावना है.”
रमन गंगाखेडकर ने आगे कहा, “यह इस बात पर निर्भर करता है कि मैं किस अंग के बारे में बात कर रहा हूं, यह शायद उन विशिष्ट अंगों को अधिक नुकसान पहुंचाएगा अगर यह सच साबित होता है कि ये प्रमुख पैथोफिजियोलॉजिकल बदलाव का कारण बन रहा है और अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर रहा है.”
डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) प्रमुख टेड्रोस अधानोम ने आगाह किया कि कम से कम 85 देशों में पाया गया कोविड-19 का डेल्टा स्वरूप अभी तक सामने आए सभी स्वरूपों में ‘सबसे अधिक संक्रामक’ है और यह उन लोगों में तेजी से फैल रहा है जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है.