नई दिल्ली, : हिंदी पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को चित्रगुप्त पूजा उपासना की जाती है। इस दिन सभी जीवों के कर्मों का लेखा जोखा रखने वाले और ज्ञान के अधिष्ठाता भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा करने का विधान है। साथ ही आज भाई दूज भी मनाया जा रहा है। दिवाली के अगले दिन सूर्य ग्रहण पड़ने के चलते तिथि में बदलाव हुआ है। धार्मिक मान्यता है कि चित्रगुप्त जी की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस दिन कायस्थ समाज के लोग कॉपी कलम को हाथ नहीं लगाते हैं। आइए, चित्रगुप्त पूजा के बारे में सबकुछ जानते हैं-
पूजा का शुभ मुहूर्त मुहूर्त
सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। इसके लिए चित्रगुप्त पूजा का उत्तम दिन आज है। कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की उदया द्वितीया तिथि 27 अक्टूबर को है। इस दिन कई शुभ योग लग रहे हैं। इनमें सौभाग्य योग सुबह 7 बजकर 27 मिनट से अगले दिन 28 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 33 मिनट तक है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से अगले दिन 28 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक है। जबकि, अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक था। इस दौरान साधक चित्रगुप्त जी की पूजा कर सकते हैं। हालांकि, राहुकाल के दौरान पूजा करने की मनाही होती है। इसके लिए राहु काल में पूजा न करें। आज राहु काल दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से लेकर 2 बजकर 52 मिनट तक है। इस दौरान पूजा न करें।
कब करें पूजा
साधक शाम 4 बजकर 17 मिनट से लेकर 5 बजकर 41 मिनट तक चित्रगुप्त जी की पूजा कर सकते हैं। इसके बाद 7 बजकर 17 मिनट से लेकर 8 बजकर 53 मिनट तक पूजा कर सकते हैं। फिर रात में 8 बजकर 53 मिनट से 10 बजकर 29 मिनट तक पूजा उपासना कर सकते हैं।
भगवान चित्रगुप्त पूजा विधि
कलयुग में चित्रगुप्त पूजा का विशेष महत्व है। चित्रगुप्त जी सभी जीवों के कर्मों का लेखा जोखा लिखते हैं। मृत्यु के उपरांत कर्मों के अनुरूप व्यक्ति को स्वर्ग और नर्क में स्थान मिलता है। बुरे कर्म करने वाले लोगों को नर्क की यातनाएं सहनी पड़ती हैं। चित्रगुप्त जी की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, चित्रगुप्त जी की कृपा से नर्क की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। इसके लिए चित्रगुप्त जी की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए। इस दिन स्नान ध्यान से निवृत होकर सबसे पहले आमचन कर संकल्प लें। अब भगवान चित्रगुप्त की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, रोली, अक्षत, मिठाई से करें। अंत में अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना कर उनसे सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।