नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मजहबी कट्टरता पर चिंता जताई है। गुजरात के कर्णावती में चल रही प्रतिनिधि सभा की बैठक में पेश किए गए वार्षिक प्रतिवेदन में कहा गया है कि कुछ कट्टर ताकतें धार्मिक आजादी की आड़ में उन्मादी कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को भड़का रही हैं। इससे समाज में विद्वेष बढ़ रहा है। प्रतिवेदन में केरल व कर्नाटक में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की हत्या का उदाहरण भी दिया गया है।
आरएसएस के वार्षिक प्रतिवेदन में देश में बढ़ती कट्टरता पर जताई गई चिंता
संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले की ओर से पेश वार्षिक प्रतिवेदन में कहा गया है कि धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने वाले लोगों की ओर से सरकारी तंत्र में भी प्रवेश करने की व्यापक योजना दिखाई देती है। इन सबके पीछे एक दीर्घकालीन षड्यंत्र काम कर रहा है। भ्रम पैदा कर लोगों को उकसाया जा रहा है। इसलिए समाज की एकता, एकात्मता तथा सद्भाव के साथ के समक्ष खड़े इस खतरे को संगठित शक्ति, जन जागरण और सक्रियता से सफलतापूर्वक परास्त करने का प्रयास करना होगा।
ये गिनाए गए हैं कारण
प्रतिवेदन में कहा गया है कि मजहबी उन्माद पैदा करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम, रैलियां, प्रदर्शन और भ्रम पैदा करने वाले आयोजन किए जा रहे हैं। धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में सामाजिक अनुशासन व परंपरा का उल्लंघन किया जा रहा है। अलग-अलग तरीके से लोगों को भड़का कर लोगों को हिंसा के लिए उत्तेजित किया जा रहा है। साथ ही अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम सुनियोजित तरीके से हो रहा है। दूसरी ओर स्वाभिमान के साथ खड़ी हो रही हिंदू शक्ति से भी लोग परेशान हो रहे हैं।