नई दिल्ली, । अक्सर तमाम उलझनों और झगड़ो से परेशान कपल तलाक लेने को आखरी रास्ता मानते हैं। रिश्ते को खत्म करने के लिए रिश्ता तोड़ना ही उन्हें आखरी विकल्प लगता है। इसी क्रम में एक मामला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर दंपति के तलाक के मामले पर अपना फैसला सुनाया है।
एक दूसरे के लिए समय कहां है: कोर्ट
इस मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर दंपति अपनी शादी को दूसरा मौका क्यों नहीं दे पा रहे थे। पीठ ने कहा कि आप में से एक दिन में काम करता है और दूसरा रात में। ऐसे में दोनों के पास एक दूसरे के लिए समय कहां ही है।
जस्टिस के एम जोसेफ और बी वी नागरत्ना की पीठ ने की मामले की सुनवाई
बता दें कि मामले की सुनवाई जस्टिस के एम जोसेफ और बी वी नागरत्ना की पीठ कर रही थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि आप दोनों बेंगलुरु में तैनात सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। आप में से एक दिन में ड्यूटी पर जाता है और दूसरा रात में काम पर जाता है। आपको तलाक का कोई अफसोस नहीं है लेकिन आप शादी के लिए पछता रहे हैं। पीठ ने कपल से पूछा ऐसे में आप अपनी शादी को दूसरा मौका क्यों नहीं देते?
पति और पत्नी दोनों के वकीलों ने पीठ को बताया
पति और पत्नी दोनों के वकीलों ने पीठ को बताया कि इस याचिका के लंबित रहने के दौरान दोनों पक्षों को उनके बीच समझौते की संभावना तलाशने के लिए सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र भेजा गया था।
वकीलों ने पीठ को बताया कि पति और पत्नी दोनों ही एक समझौते पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कुछ नियमों और शर्तों पर हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13बी के तहत आपसी सहमति से तलाक की डिक्री द्वारा अपनी शादी को भंग करने का फैसला किया है। इन शर्तों में से एक यह है कि पति स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में पत्नी के सभी मौद्रिक दावों के पूर्ण और अंतिम निपटान के लिए कुल 12.51 लाख रुपये का भुगतान करेगा।
समझौते की शर्तें स्वीकार करने में कोई कानूनी बाधा नहीं : पीठ
पीठ ने 18 अप्रैल के अपने आदेश में कहा, “जब इस अदालत ने सवाल किया, तो पार्टियों ने कहा कि वे वास्तव में अपने विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से अलग करने और आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समझौते की शर्तें होंगी उनके द्वारा यह पालन किया जाता है और इसलिए आपसी सहमति से तलाक की डिक्री द्वारा विवाह को भंग किया जा सकता है।”
पीठ ने कहा कि परिस्थितियों में, “हमने निपटान समझौते के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दायर आवेदन को रिकॉर्ड में लिया है। हमने उसी का अवलोकन किया है। अवलोकन करने पर हमने पाया कि समझौते की शर्तें वैध हैं और इसे स्वीकार करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।”