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‘कमरे में जा रही है इसका मतलब ये नहीं कि महिला सेक्स के लिए तैयार है’, यौन उत्पीड़न मामले पर बॉम्बे HC की सख्त टिप्पणी


 

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नई दिल्ली। यौन उत्पीड़न मामले में एक बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच एक अहम फैसला सुनाया। अगर कोई महिला किसी पुरुष के साथ होटल में कमरे में जाती है तो इसका यह मतलब नहीं कि उसने यौन संबंध के लिए अपनी रजामंदी दे दी है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के एक आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें आरोपी के खिलाफ यौन उत्पीड़न केस को रद्द कर दिया गया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने टिप्पणी की कि यदि कोई महिला किसी पुरुष के साथ होटल में कमरे में जाती है तो इसका यह मतलब नहीं कि उसने यौन संबंध के लिए तैयार है। न्यायमूर्ति भारत पी. ​​देशपांडे इस मामले पर सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया। वहीं आरोपी के खिलाफ मुकदमा जारी रखा है।

न्यायालय ने मार्च 2021 में ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आरोपी को जेल से छोड़ने के आदेश को रद्द कर दिया। आरोपी गुलशेर अहमद के खिलाफ बलात्कार का मामला बंद कर दिया गया था।

आरोपी ने कहा था कि चूंकि महिला ने होटल का कमरा बुक कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और आरोपी के साथ उसमें ठहरी थी, इसलिए उसने कमरे के अंदर हुए यौन संबंध के लिए सहमति दी थी।