Latest News नयी दिल्ली बंगाल

कांग्रेस से वार्ता के सार्वजनिक होने से कम हुई है पीके की सियासी सौदेबाजी की क्षमता : तृणमूल


कोलकाता। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बीच तृणमूल नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि इसे लेकर जिस तरह से चीजें प्रकाश में आ रही हैं, उससे पीके की सियासी सौदेबाजी की क्षमता कम हुई है।

गौरतलब है कि तृणमूल नेतृत्व की तरफ से पहले ही साफ तौर पर कह दिया गया है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर किस पार्टी में जाएंगे, यह उनका व्यक्तिगत मामला है। इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है, हालांकि अंदरखाने तृणमूल के कुछ नेताओं का कहना है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस से बातचीत की खबरें जिस तरह से सार्वजनिक हो गई हैं, इससे उनकी सियासी सौदेबाजी करने की क्षमता कम हो गई है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अभी तक कांग्रेस से अपनी शर्तें नहीं मनवा पाए हैं।

 

दूसरी तरफ सोनिया गांधी ने पीके के सहारे विपक्षी खेमे का नेतृत्व करने का जो लक्ष्य रखा था, उसे भी धक्का लगा है। इससे अंतत: तृणमूल को ही फायदा होगा क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर विरोधी चेहरे के तौर पर ममता बनर्जी ही हैं। पीके ने पिछले साल भी कांग्रेस से बातचीत की थी। वे कई भाजपा विरोधी दलों के शीर्ष नेताओं से भी मिले थे लेकिन उससे अब तक उन्हें कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। तृणमूल नेताओं का आगे कहना है कि यह बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि कांग्रेस अथवा किसी भी पार्टी का कोई नेता तृणमूल में आकर शामिल होता है तो वह सीधे तौर पर तृणमूल नेतृत्व से बातचीत करके ऐसा करता है, ‘किसीÓ की संस्था के माध्यम से नहीं। तृणमूल के एक नेता ने बताया कि पार्टी के नीति निर्धारण में पीके की संस्था की कोई भूमिका नहीं है। तृणमूल नेतृत्व की तरफ से पहले ही साफ तौर पर कह दिया गया है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर किस पार्टी में जाएंगे, यह उनका व्यक्तिगत मामला है।