नई दिल्ली, । जलमार्ग को फिर से परिवहन का मजबूत माध्यम बनाने में केंद्र सरकार जुटी है। 111 नए जलमार्ग चिन्हित कर चुकी सरकार धार्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन को इनके सहारे बढ़ाना चाहती है। काशी में क्रूज और छोटे जलयान का संचालन शुरू किया जा चुका है और प्रयासों की यह धारा मथुरा-वृंदावन और अयोध्या की ओर भी हिलोरें मारती नजर आ रही है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आग्रह पर केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय मथुरा, वृंदावन और गोकुल में यमुना का सर्वेक्षण कराने जा रहा है। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय यह निर्णय पहले ही कर चुका है कि उत्तर प्रदेश को छह हाइड्रोजन फ्यूल सेल कैटामरेन वेसल दिए जाएंगे।
सर्वे का कार्यक्रम नहीं हुआ तय
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि यह वेसल कहां-कहां चलेंगे, यह राज्य सरकार को तय करना है। हालांकि, इनके संचालन के लिए प्राथमिकता पर वाराणसी ही है। सोनोवाल का कहना है कि अयोध्या में प्रवाहित हो रही सरयू नदी में काफी गहराई है। वहां बड़े जलयान भी चलाए जाने की पूरी क्षमता है। हालांकि, अभी सर्वे आदि का काम शुरू करने का कार्यक्रम तय नहीं हुआ है।
इसके अलावा अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। काशी का कायाकल्प हो चुका है। वृंदावन में भी कारीडोर बनाने की तैयारी है। ऐसे में इन तीनों सहित अन्य धार्मिक स्थलों को जलमार्ग से जोड़कर सर्किट बनाने की संभावनाओं को तलाशने के लिए भी मंत्रालय विशेषज्ञों से अध्ययन कराएगा।
क्रूज की यात्रा 20 फरवरी को हो सकती है पूरी
मंत्री सोनोवाल का कहना है कि देश में बड़े स्तर पर जलमार्ग विकसित करने का विजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का है। उनके संसदीय क्षेत्र काशी से जब गंगा विलास क्रूज को डिब्रूगढ़ के लिए रवाना किया जा रहा था तो तमाम लोग सवाल खड़े कर रहे थे कि गंगा सहित इस रूट में पड़ने वाली कई नदियों में पानी इतना नहीं है, तो क्रूज कैसे चल पाएगा। अब चूंकि क्रूज की यात्रा 28 फरवरी को पूरी होने जा रही है, तो इसमें कोई संशय नहीं रह गया है कि सरकार जल परिवहन को बढ़ावा देने के अपने लक्ष्य को जरूर पूरा करेगी।