उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को घोषणा करते हुए कहा कि अविरल निर्मल गंगा का प्रस्ताव प्रयागराज कुंभ 2025 से पहले पूरा कर लिया जाएगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन की समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक प्रेस रिलीज में सरकार को सूचित किया गया है कि नेशनल गंगा काउंसिल की दूसरी बैठक 30 दिसंबर को निर्धारित की गई है,जारी बयान में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के लिए गंगा नदी प्रकृति का अद्वितीय उपहार है। यह नदी उत्तर प्रदेश के एक बड़े क्षेत्र को आच्छादित करती है। यह हमारी आस्था का केंद्र होने के साथ ही अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार भी है’।योगी ने कहा कि गंगा और इसकी सहायक नदियों को अविरल-निर्मल (स्वच्छ और निर्बाधित धारा) बनाने के संकल्प को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देखरेख में चल रहे नमामि गंगे प्रोजेक्ट में काफी संतोषजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं। गंगा और इसकी सहायक नदियों को स्वच्छ बनाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा चलाए गए अभियान में आम जनता का भी सहयोग प्राप्त हुआ है, जिसके फलस्वरूप गंगा नदी में डाल्फिन मछलियां वापस लौट आई हैं और जल निकायों को साफ करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज कुंभ 2025 शुरू होने से पहले मां गंगा को अविरल-निर्मल बनाने का संकल्प पूरा करना होगा। नदियों को सीवेज की गंदगी और जहरीले पानी से बचाने के लिए एसटीपी लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा कि अर्थ गंगा अभियान से उन करोड़ों लोगों को लाभ होगा, जिनकी आजीविका गंगा पर निर्भर है। अर्थ गंगा से जीडीपी में 3 प्रतिशत का योगदान देने के लक्ष्य के साथ हमें ठोस प्रयास करने होंगे। विशेषज्ञों की सहायता से इसे एक मॉडल के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि गंगा नर्सरी को महिला स्वयं सहायता समूहों, भूतपूर्व सैनिकों आदि के सहयोग से विकसित करने का प्रयास किया जाए। यहां नर्सरी से लेकर फलों के प्रसंस्करण तक की पूरी वेल्यू चेन बनाई जाए। गंगा के किनारे बसे लोगों के लिए ये ‘गंगा उत्पाद’ आय का स्थाई जरिया बन सकते हैं।मुख्यमंत्री योगी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘नदी शहर के लिए नई सोच’ के विजन को बढ़ावा दिया है। नमामि गंगे के अनुभवों से सीखते हुए, नदी तटीय शहरों की योजना बनाने के लिए एक नए नदी-केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यह शहर के मास्टर प्लान का हिस्सा होना चाहिए। इस संबंध में आईआईटी कानपुर के तकनीकी सहयोग से आवश्यक कार्रवाई की जाए।
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