- बाराबंकी: भले ही दुनिया कोरोना महामारी से बचने के लिए टीकाकरण के बढ़ावे पर जोर दे रही हो, लेकिन देश में कई लोग ऐसे भी हैं जोकि टीकाकरण कराने से बच रहे हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से आया, जहां सिसोदा गांव में निवासियों का एक समूह टीकाकरण से बचने के लिए सरयू नदी में कूद गया। निवासी कोरोना वैक्सीन का टीका नहीं लेना के अपने फैसले पर अडिग हैं।
स्थानीय किसान शिशुपाल ने कहा, “टीका लगवाने के बाद भी लोगों की मौत हुई है। मैं उन लोगों के बारे में जानता हूं, जिन्हें टीका लेने के बाद अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। जब मरना ही है तो वैक्सीन क्यों?”
मैट्रिक पास कर चुके शिशुपाल का मानना है कि कोविड का टीका ‘हानिकारक’ है और ये बात वह दूसरों के बीच भी फैला रहा है। उन्होंने कहा ”मुझे यह जानकारी मेरे कई दोस्तों से मिली है, जो बड़े शहरों में काम करते हैं। स्थानीय अधिकारियों ने मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया है। मेरे अपने चाचा जो दिल्ली में काम करते थे, दोनों टीके लगने के एक महीने बाद मर गए और क्या मुझे सबूत चाहिए।”
एक अन्य निवासी, मोहम्मद अहसान भी टीका लेने को तैयार नहीं हैं। उसने कहा कि क्या कोई गारंटी है कि हम वैक्सीन के बाद संक्रमित नहीं होंगे? आसपास के गांव में कई ऐसे हैं जो वैक्सीन लेने के लिए दौड़ पड़े और फिर संक्रमित हो गए। सरकार टीकाकरण पर जोर क्यों दे रही है। उन्हें टीका उसको देना चाहिए, जो इसे लेना चाहते हैं।
इसके अलावा, गांव में अफवाहें फैली हैं कि टीका नपुंसकता का कारण बनता है और यह कारण मुख्य रूप से पुरुषों को भगाने के लिए जिम्मेदार है। गांव में लोगों ने स्वास्थ्य अधिकारियों की एक टीम को देखकर सरयू नदी में छलांग लगा दी थी। स्वास्थ्य टीम गांव में स्थानीय निवासियों को कोविड का टीकाकरण कराने गई थी।