नई दिल्ली, अमेरिका में मध्यावधि चुनाव के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह वर्ष 2024 में राष्ट्रपति के उम्मीदवार होंगे। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है। इन चुनाव परिणामों से रिपब्लिकन काफी मायूस हैं। इस चुनाव में ट्रंप का जादू नहीं चला। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ट्रंप के इस बयान के राजनीतिक मायने क्या है। मध्यावधि चुनाव के बाद ट्रंप ने इस तरह का बयान क्यों दिया। इसके क्या निहितार्थ हैं। इसके अलावा यह भी जानेंगे कि अमेरिका में कोई व्यक्ति कितनी बार राष्ट्रपति बन सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बयान के क्या हैं मायने
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि अमेरिका में मध्यावधि चुनाव के नतीजों के बाद डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी में पकड़ ढीली पड़ी है। ऐसे में वर्ष 2024 में राष्ट्रपति उम्मीदवारी में रिपब्लिकन पार्टी में उनके प्रतिद्वंद्वी रान डेसंटिस उनको एक बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। बता दें कि इस मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के नेता रान डेसेंटिस ने फ्लोरिडा के गवर्नर की रेस में दोहरे अंक से जीत हासिल की है। ट्रंप को यह भय सता रहा है कि ऐसे में डेसेंटिस पार्टी की पहली पंसद बन सकते हैं। प्रो पंत ने कहा कि रान डेसेंटिस अपनी इस कामयाबी से वर्ष 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के दौर में ट्रंप को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
2- प्रो पंत ने कहा कि ट्रंप के इस ऐलान के पीछे की वह वर्ष 2024 में राष्ट्रपति के उम्मीदवार होंगे, उनका एक का बड़ा राजनीतिक एजेंडा हो सकता है। उन्होंने कहा कि ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है, जब अमेरिका के मध्यावधि चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। इस चुनाव परिणाम से ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी में काफी निराशा है। ऐसे में ट्रंप ने इस बयान के जरिए अपने को अमेरिकी राजनीति में सक्रिय रहने का संदेश दिया है। उन्होंने यह संकेत दिया है कि वह मध्यावधि चुनाव से विचलित नहीं हैं और वह वर्ष 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।
3- प्रो पंत ने कहा कि पहले रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप अपने को एक छत्रनेता मानते थे, लेकिन मध्यावधि चुनाव के बाद रान डेसंटिस से उनको कड़ी टक्कर मिल रही है। ट्रंप यह जान चुके हैं कि वर्ष 2024 में राष्ट्रपति उम्मीदवारी में उनको कड़ी मेहतन करनी होगी। ट्रंप का यह बयान उनके कट्टर समर्थकों के लिए एक संजीवनी का काम किया है। मध्यावधि चुनाव के बाद 75 वर्षीय ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव लड़ने को लेकर मौन थे, लेकिन अब यह बयान देकर उन्होंने अपने समर्थकों को भी यह संदेश दिया है कि वह सक्रिय राजनीति में अभी भी हैं। ट्रंप यह जानते हैं कि अगर वर्ष 2024 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ना है तो उनको अपने कट्टर समर्थकों को साथ लेकर चलना होगा।
4- दरअसल, अमेरिका में मध्यावधि चुनाव के बाद रिपब्लिकन पार्टी को निराशा हाथ लगी है। विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि यह चुनाव रिपब्लिकन बनाम डेमोक्रेटिक कम बल्कि जो बाइडन बनाम डोनाल्ड ट्रंप ज्यादा था। इस चुनाव के परिणाम पर बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप के राजनीतिक भविष्य का फैसला होना था। मध्यावधि चुनाव के परिणाम के बा बाइडन की स्थिति मजबूत हुई है। उधर, ट्रंप की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
5- प्रो पंत ने कहा कि अमेरिका का मध्यावधि चुनाव वर्ष 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में भी देखा जा रहा था। दरअसल, मध्यावधि चुनाव के बाद दोनों पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों के बारे में निर्धारण करना शुरू कर देती है। इस बार मध्यावधि चुनाव में बाइडन और ट्रंप के बीच प्रमुख मुकाबला था। इस चुनाव में बाइडन प्रशासन को घेरने के लिए ट्रंप अमरिकी फर्स्ट पालिसी को लेकर आगे चल रहे थे। हालांकि, जनता ने उनकी मांग को मतदान के जरिए खारिज कर दिया।
6- प्रो पंत ने कहा कि ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी को यह संकेत दिया है कि वह वह 2024 में राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में रहेंगे। प्रो पंत ने कहा कि हालांकि, अंतिम रूप से यह पार्टी के नेता व कार्यकर्ता तय करेंगे कि वर्ष 2024 में कौन राष्ट्रपति का उम्मीदवार होगा, लेकिन ट्रंप ने पार्टी को यह संदेश दिया है कि वह सक्रिय राजनीति से अभी अलग नहीं हुए हैं।
आखिर क्या है संवैधानिक व्यवस्था
अमेरिकी संविधान के मुताबिक अमेरिका में कोई व्यक्ति केवल दो बार ही राष्ट्रपति बन सकता है। हालांकि, फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट इस मामले में अपवाद हैं। रूजवेल्ट तीन बार राष्ट्रपित के पद पर रहे। यही वजह है कि वह अमेरिका के इतिहास में सबसे अधिक समय तक राष्ट्रपति के पद पर रहने वाले नेता थे। रूजवेल्ट अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति थे। वह डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुने गए थे। आज के आधुनिक अमेरिका का श्रेय भी रूजवेल्ट को दिया जाता है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनका तीसरा कार्यकाल था।