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गोरखपुर में दलित के घर मुख्यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने खाई खिचड़ी,


गोरखपुर, । मुख्‍यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्‍वर योगी आद‍ित्‍यनाथ ने गोरक्षपीठ की 40 वर्ष पुरानी परंपरा का न‍िर्वहन करने शुक्रवार को गोरखपुर में दल‍ित के घर पहुंचे और ख‍िचड़ी खाई। सीएम गोरखपुर के मानबेला के पीरू शहीद मुहल्ले में शुक्रवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे दलित अमृत लाल भारती के घर पर पहुंचे। उन्होंने अमृत लाल से उनका हाल पूछा और खिचड़ी खाकर गोरखनाथ मंदिर की पुरानी परंपरा का निर्वहन किया।

दलित बस्ती में मुख्यमंत्री की एक झलक पाने को उतावले दिखे लोग

शुक्रवार सुबह से नगर निगम के कर्मचारी मानबेला की पीरू शहीद दलित बस्ती को चमकाने में जुटे हुए थे। दोपहर 12 बजते बजते बस्ती पूरी तरह स्वच्छ दिखने लगी। मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर मुहल्ले के लोगों के उत्साह का ठिकाना न रहा। लोग अपने-अपने घर की छतों पर चढ़कर मुख्यमंत्री को देखने के लिए उतावले नजर आए। दोपहर करीब 12:30 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दलित अमृत लाल के घर पहुंचे। कार्यक्रम पूर्व निर्धारित होने के कारण अमृत लाल के घर पर खिचड़ी, दही, सब्जी, पापड़ बना हुआ था।

40 वर्ष पुरानी है दलित के घर खिचड़ी खाने की परंपरा 

मुख्यमंत्री ने अमृत लाल के घर खिचड़ी खाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। बता दें दलित के घर खिचड़ी खाने की परंपरा करीब 40 वर्ष पुरानी है। मुख्यमंत्री पूर्व में भी इस परंपरा का निर्वहन करते रहे हैं। उनसे पूर्व में ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ इस परंपरा का निर्वहन करते रहे हैं। मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर अमृत लाल का परिवार सुबह से उत्साहित था। उनके घर में सुबह से तैयारी की जा रही थी। अमृत लाल भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं। उनका परिवार करीब 30 वर्षों से गोरखनाथ मंदिर से जुड़ा हुआ है।

गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी कल चढ़ेगी

15 जनवरी को मंदिर में गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाई जाएगी। गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह लगभग तीन बजे सबसे पहले मंदिर की और उसके बाद नेपाल राजपरिवार की खिचड़ी चढ़ाएंगे। इसके बाद आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने खिचड़ी चढ़ाने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मास्क अनिवार्य किया है। जिन श्रद्धालुओं के पास मास्क नहीं होगा, उन्हें मंदिर प्रशासन की तरफ से मास्क उपलब्ध कराया जाएगा। महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए हैं।