चंदौली

चंदौली:शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार पर आयोग सख्त


चन्दौली। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार जहाँ शौचालय का निर्माण करवा रही है वही कुछ भ्रष्ट अधिकारी पूरी योजना को पलीता लगा रहे है। लापरवाह अधिकारियों के चलते सरकार की कल्याणकारी योजनाएं वास्तविक धरातल पर फलीभूत होने से पहले ही दम तोड़ दे रही है। कुछ ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत अमड़ा विकास खंड बरहनी के भोलापुर में देखने को मिला है। शौचालय निमार्ण के लिए 2020 में 30 लाभार्थियों के खाते में प्रति लाभार्थी 6000 रुपये ट्रांसफर किया गया। दूसरी किस्त भी 6000-6000 रुपये कुल 12000 रुपये प्रत्येक के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाबजूद भी किसी लाभार्थी द्वारा एक भी शौचालय का निर्माण नही कराया गया। मामला संज्ञान में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेन्द्र कुमार सिंह योगी ने प्रकरण की शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में भेजकर शौचालय निमार्ण के साथ ही दोषी अधिकारियों पर कठोरतम कार्यवाई करने का अनुरोध किया था। आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने जिला पंचायत राज अधिकारी के प्रतिवेदन ०३ सितम्बर २०२१ के साथ प्रतिवेदन ८ सितम्बर २०२१ को प्रस्तुत किया जिसमें कहा गया कि ग्राम भोलापुर में 30 हितग्राहियों के बैंक खाते में 6000-6000 रुपये की धन राशि हस्तांतरण एवं नोटिस जारी करने के बावजूद डीएम द्वारा शौचालय निर्माण न कराए जाने का कारण खराब सड़के को बताया जा रहा है। जिलाधिकरी ने आयोग को भेजे अपने रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि ग्राम पंचायत अमड़ा के राजस्व ग्राम भोलापुर के स्वच्छ शौचालय के 30 लाभार्थियों द्वारा शौचालय निर्माण हेतु धनराशि प्राप्त कर लेने के बावजूद भी ब्यक्तिगत शौचालय का निर्माण न कराने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट सम्बंधित थाना धीना जनपद चन्दौली में दर्ज कराने हेतु तहरीर दी गई लेकिन थानाध्यक्ष धीना द्वरा रिपोर्ट दर्ज नही की गई जो माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के आदेशों का खुला उलंघन है। ऐसे में रिपोर्ट दर्ज न करने वाले दोषी पुलिस अधिकारियों पर कठोरतम कार्यवाई होनी चाहिए। आयोग ने शिकायत कर्ता के टिप्पणी पर विचार करते हुए जिलाधिकारी से चार सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इसके बावजूद कोई रिपोर्ट प्राप्त नही हुई। जिलाधिकारी के इस कृत्य पर नाराजगी ब्यक्त करते हुए आयोग ने दोबारा छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कड़ा निर्देश दिया है।