चहनिया। माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रदेश सरकार द्वारा वित्तविहीन शिक्षकों के साथ किये जा रहे सौतेले व्यवहार को लेकर रोष प्रकट किया है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि विगत डेढ़ साल से प्राईवेट स्कूल बंद है जिनके शिक्षक व कर्मचारी भूखमरी के कगार पर है लेकिन सरकार द्वारा उनके हित में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। सरकार के उपेक्षा से शिक्षक समाज में रोष व्याप्त है। राजेन्द्र प्रताप ने कहा कि प्रदेश सरकार में सबसे उपेक्षित माध्यमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों की है। जब तक शिक्षक भूखा है, ज्ञान का सागर सूखा है। चार वर्ष में शिक्षकों के उत्थान के लिए योगी सरकार द्वारा कुछ नहीं किया जा सका है। जिस प्रांत में शिक्षा और शिक्षक दोनों लाचार है उस प्रदेश का भगवान ही मालिक है सरकार शिक्षकों की लाचारी को देख नहीं रही है कि देखकर अनदेखी कर रही है। प्रदेश की योगी सरकार ने सरकार बनने पर बेहतर शिक्षा की बात कही थी लेकिन यह कहना पड़ रहा है कि 35 वर्षो से मान्यता प्राप्त माध्यमिक वित्तविहीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों का न तो सेवा नियमावली बनी न ही उन्हें अपनाया ही गया। डा० राजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि अभी प्रदेश सरकार को एक वर्ष का वक्त है शिक्षा एवं शिक्षक को अपना परिवार मान ले और उनके हित में कोई सार्थक कदम उठाये नहीं तो जिस तरह से शिक्षक समाज में रोष है। वह सरकार को भारी पड़ सकता है और हो ना हो सत्ता से हाथ धोना पड़ जाय।