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दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के प्रयास समेत अन्य मामलों में दोषी ठहराए गए आरोपित की याचिका पर की अहम टिप्पणी


नई दिल्ली । हत्या का प्रयास समेत अन्य धाराओं में दोषी ठहराए गए दोषी की अपील याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अपराध करने के लिए इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी एक आरोपित को दोषी ठहराने के लिए अनिवार्य शर्त नहीं है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की पीठ ने कहा कि इस दलील में कोई योग्यता नहीं है कि हत्या के प्रयास व गैर इरादतन हत्या के आरोपों में अपराध का हथियार बरामद नहीं किया गया था क्योंकि शिकायतकर्ता और उसके भाई की गवाही ठोस आरोपित को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त है।

मामले में पीडि़त को लगी चोटों की प्रकृति को देखते हुए पीठ ने पाया कि अपीलकर्ता के खिलाफ धारा-307 के तहत अपराध संदेह से परे स्पष्ट रूप से साबित हुआ है। राकेश कुमार बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का पीठ ने हवाला दिया। इसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि अपराध के हथियार की बरामदगी एक आरोपित को दोषी ठहराने के लिए एक अनिवार्य शर्त नहीं है।

कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने वर्ष 2019 में दोषी ठहराकर सजा सुनाने के फैसले को चुनौती दी थी। अदालत ने सलीम खान को छह साल की कठोर सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। सलीम पर आरोप था कि उसने शिकायतकर्ता यूनुस और उसके भाई साहिल को गंभीर चोट पहुंचाई थी। इस फैसले को उसने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। दोषी सलीम ने याचिका में दलील दी थी कि शिकायतकर्ता के खून से सने कपड़े जब्त नहीं किए गए थे, लेकिन पीठ ने उसकी दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि घटना के 45 मिनट के भीतर शिकायतकर्ता का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया था।